Jija Ji Ne Sofe Pe Baitha Ke Meri Chut Chodi

मेरा नाम कोमलप्रीत है पर मुझे प्यार से सब कोमल कहते हैं और मैं पंजाब के गुरदासपुर शहर से हूँ ! मेरी उम्र 21 साल है और मेरे घर में मेरे अलावा दो बहनें हैं, छोटी का नाम काव्या है, उसकी उम्र 18 साल है, मेरे से बड़ी दीदी बेबी की शादी हो चुकी है, वह 23 साल की है, मेरे जीजा मनदीप चंडीगढ़ में रहते हैं और उनका मोबाइल फोन का बिजनेस है।
यह सच्ची घटना आठ महीने पहले की है।
उस रात को मैं कैसे भूला दूँ जब जीजा मनदीप ने मेरे कुंवारेपन की झिल्ली फाड़ी थी और अपना मजबूत लौड़ा मेरी चूत में गाड़ दिया था। कभी कभी मैं नींद से जाग जाती हूँ क्यूंकि मुझे आज भी वो लौड़ा याद आता है; लेकिन मज़बूरी है और वो लौड़ा अब मुझे शायद कभी नहीं मिलेगा।
आइये आप को अब उस रात और उसके पहले और बाद की घटना बताती हूँ।
मेरी दीदी बेबी का एक दिन फोन आया, उसकी आवाज हल्की सी ढीली और जैसे कि वो बीमार हो, ऐसी लग रही थी।
मैंने उसे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- बहुत बीमार हूँ, मलेरिया हुआ है, बदन में कमजोरी के कारण घर का काम नहीं कर सक रही।
मुझसे यह सुन कर रहा नहीं गया।
मैं- अरे दीदी, अगर आप कहो तो मैं आ जाऊँ? वैसे भी मेरे कॉलेज में 10 दिन की छुट्टी हैं।
बेबी- अगर तू आ सकती है तो आ जा ! पर तेरे जीजा के पास काम का अभी बहुत रश है, इसलिए वो लेने नहीं आ सकेंगे !
मैं- कोई बात नहीं दी, मैं पापा के साथ आ जाऊँगी।
बेबी- ठीक है, कल ही आ जा !
अगले दिन दोपहर बाद मुझे पापा ने बस में बिठा दिया। मेरी उम्र के हिसाब से मेरा कद और काठी काफी बड़ा है, मैं किसी मॉडल से कम सुंदर नहीं हूँ, बस के अंदर हर एक लौड़ा मुझे देख रहा था पर मेरे मन में इस से गुस्सा नहीं बल्कि घमंड आ रहा था, मेरे मन में तो अपने पति को लेकर बहुत बड़े बड़े सपने थे, मुझे ऐसा पति चाहिए थे जो शाहरुख़ जितना सेक्सी और सलमान जितना चौड़ा हो। चंडीगढ़ पहुंचते ही मैं ऑटो लेकर दीदी के घर चली गई। मैंने देखा कि दीदी बहुत कमजोर हो गई है और उसे बहुत तकलीफ हो रही थी। मैंने उसे दवाई वगैरह के लिए पूछा तो उसने बताया कि दवाई चल ही रही है।
मैं- जीजाजी कहाँ हैं?
दीदी- अरे अभी आईफोन का 5 नंबर लॉन्च हुआ है उसमें लगे पड़े हैं। उन्होंने तो मुझे कहा कि शोरूम पर नहीं जाता, पर मैंने उन्हें जबरदस्ती से भेज दिया। एक दिन में अभी 20 हजार कमाने का मौका है, वो थोड़े ही बार बार आता है।
मैं- ठीक है दी, अब तू घबरा मत, मैं यही हूँ कुछ दिन ! तेरा और मेरे जीजा का पूरा ख्याल रखूंगी।
दीदी- अच्छा है तू आ गई, कल तो मुझे होटल से खाना मंगवाना पड़ा।
मैं- चल मैं आज तेरी पसंद के राजमा चावल बनाती हूँ।
मैं फ्रेश होकर रसोई में गई और राजमा बनाने लगी। बेबी को राजमा पहले से बहुत पसंद हैं। रात के 8 बजे तक मैं खाना बना चुकी थी। खाना बनाने के बाद मैंने कहा- जीजाजी आ जाएँ रो इकट्ठे खाना खाएँगे !
लेकिन बेबी ने कहा- उनका अभी कोई ठिकाना नहीं है।
इसलिए हम दोनों बहनों ने खाना खा लिया। बेबी को दवाई देकर मैंने सुला दिया और ड्राइंग रूम में जाकर मैं डिस्कवरी चैनल देखने लगी। टीवी देखते देखते दस कब बजे, पता ही नहीं चला।
इतने में घर का मुख्य दरवाजा खुला और जीजाजी अंदर आये, उसने मुझे देखा नहीं और वो फोन पर किसी से लड़ रहे थे।
जीजा- लौड़ा मेरा, साले तुम लोग पार्सल के रेट मन चाहे तरीके से बढ़ा देते हो ! अगर ऐसा ही चला तो मुझे नहीं मंगवाना कुछ भी अब !
उन्होंने मुझे देख कर तुरंत फोन काट दिया और बोले- अरे कोमल, कब आई तू? मुझे बताया भी नहीं, मैं गाड़ी लेकर आ जाता।
मैं- नहीं जीजाजी, आप बीजी हैं ! दी ने बताया मुझे !
जीजा- अरे साली के लिए क्या बीजी क्या फ्री !
मैंने देखा कि जीजा जी को चलने में तकलीफ हो रही थी, उनके पाँव इधर उधर होने लगे थे। वो शायद शराब पी के आया था और इस बात की पुष्टि तब हुई जब वो मेरे पास आकर सोफे पर बैठे, जीजा फुल टुन्न होकर आया था, उसके मुँह से शराब की मुश्क आ रही थी। उनसे सही बैठे भी नहीं जा रहा था।.
मैंने उनसे खाने के लिए पूछा- जीजा जी खाना लगा लूँ?
जीजा- नहीं, मैं बाहर खाकर आया हूँ, तेरी दीदी जाग रही है?
मैं- नहीं दीदी को सोये तो काफी समय हो गया है।
जीजा- ओके !
उन्होंने अपनी टाँगें सोफे पर फ़ैलाई और आँखें बन्द करके लेट गए। उन्होंने अपने जूते, कपड़े ऐसे ही पहने हुए थे और वो सो गए। मैंने कहा भी यह सब उतारने के लिए लेकिन वो कुछ बोले ही नहीं, वो शायद नशे में सो चुके थे।
मैंने सोचा चलो मैं ही जीजा के जूते उतार देती हूँ। मैंने जीजा के पाँव अपनी गोद में लिए और जूते की डोरी खोल कर उतार फेंके। मैंने देखा कि जीजे की पैंट के ऊपर की बेल्ट बहुत टाईट बंधी हुई थी, मैंने सोचा कि इसे भी खोल दूँ। मैं बेल्ट को खोल रही थी, तभी मेरी नजर उसके नीचे पड़ी जहाँ एक बड़ा पर्वत जैसा आकार बना हुआ था।
क्या जीजा का लौड़ा इतना बड़ा था..!?!
पता नहीं क्यूँ, पर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी, मेरा मन कूद रहा था अंदर से ही ! मैंने इससे पहले लौड़ा सिर्फ नंगी मूवीज में ही देखा था लेकिन जीजा का लौड़ा तो पैंट के ऊपर इतना बड़ा आकार बना कर बैठा था कि देख कर ही मुझे ख़ुशी मिल रही थी।
मैंने बेल्ट को खोलने के साथ साथ उनके लौड़े के ऊपर हल्के से अपने हाथ का पीछे वाला हिस्सा लगा दिया। जीजाजी का लौड़ा बहुत सख्त लग रहा था। उनके लौड़े को छूने के बावजूद जीजा हिले नहीं और इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने अब अपना हाथ पूरा रख के लौड़े को अहसास लिया। लौड़ा काफी गरम था और मुझे उसको हाथ लगाते ही चूत के अंदर खुजली होने लगी।
मैं तब तक तो कुंवारी ही थी, मैंने केवल उंगली डाल कर हस्तमैथुन किया था बस !
सच में बड़ा भारी लौड़ा था ! खोल के देख लूँ? जीजा तो नशे में थे !
मेरे मन में लौड़ा देखने के भयानक विचार आने लगे। मैंने सोचा कि जीजा तो वैसे भी नशे में हैं तो पैंट खोली तो उन्हें थोड़े ही पता चलेगा। मैंने धीरे से उनकी ज़िप खोली और देखा कि लौड़ा अंदर अंडरवीयर में छिपा बैठा था। मैंने बटन खोल कर जीजा की पैंट उतार दी।
पता नहीं मुझे क्या हुआ था, मुझे अच्छे बुरे की कोई समझ नहीं रही थी, मैं अपने हाथ को लौड़े के ऊपर रख कर उसे दबाने लगी, फिर मैंने धीरे से अंडरवीयर को खींचा और बालों के गुच्छे के बीच में विराजमान महाराजा को देखा। अच्छा तो यह है लौड़ा !
मैंने पहली बार लाईव लौड़ा देखा था, बिल्कुल मेरी आँखों के सामने जो आधे से भी ज्यादा तना हुआ था। मेरे हाथ रुके नहीं और मेरे दिल में आया कि उसे छू लूँ एक बार !
यह सच्ची घटना आठ महीने पहले की है।
उस रात को मैं कैसे भूला दूँ जब जीजा मनदीप ने मेरे कुंवारेपन की झिल्ली फाड़ी थी और अपना मजबूत लौड़ा मेरी चूत में गाड़ दिया था। कभी कभी मैं नींद से जाग जाती हूँ क्यूंकि मुझे आज भी वो लौड़ा याद आता है; लेकिन मज़बूरी है और वो लौड़ा अब मुझे शायद कभी नहीं मिलेगा।
आइये आप को अब उस रात और उसके पहले और बाद की घटना बताती हूँ।
मेरी दीदी बेबी का एक दिन फोन आया, उसकी आवाज हल्की सी ढीली और जैसे कि वो बीमार हो, ऐसी लग रही थी।
मैंने उसे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- बहुत बीमार हूँ, मलेरिया हुआ है, बदन में कमजोरी के कारण घर का काम नहीं कर सक रही।
मुझसे यह सुन कर रहा नहीं गया।
मैं- अरे दीदी, अगर आप कहो तो मैं आ जाऊँ? वैसे भी मेरे कॉलेज में 10 दिन की छुट्टी हैं।
बेबी- अगर तू आ सकती है तो आ जा ! पर तेरे जीजा के पास काम का अभी बहुत रश है, इसलिए वो लेने नहीं आ सकेंगे !
मैं- कोई बात नहीं दी, मैं पापा के साथ आ जाऊँगी।
बेबी- ठीक है, कल ही आ जा !
अगले दिन दोपहर बाद मुझे पापा ने बस में बिठा दिया। मेरी उम्र के हिसाब से मेरा कद और काठी काफी बड़ा है, मैं किसी मॉडल से कम सुंदर नहीं हूँ, बस के अंदर हर एक लौड़ा मुझे देख रहा था पर मेरे मन में इस से गुस्सा नहीं बल्कि घमंड आ रहा था, मेरे मन में तो अपने पति को लेकर बहुत बड़े बड़े सपने थे, मुझे ऐसा पति चाहिए थे जो शाहरुख़ जितना सेक्सी और सलमान जितना चौड़ा हो। चंडीगढ़ पहुंचते ही मैं ऑटो लेकर दीदी के घर चली गई। मैंने देखा कि दीदी बहुत कमजोर हो गई है और उसे बहुत तकलीफ हो रही थी। मैंने उसे दवाई वगैरह के लिए पूछा तो उसने बताया कि दवाई चल ही रही है।
मैं- जीजाजी कहाँ हैं?
दीदी- अरे अभी आईफोन का 5 नंबर लॉन्च हुआ है उसमें लगे पड़े हैं। उन्होंने तो मुझे कहा कि शोरूम पर नहीं जाता, पर मैंने उन्हें जबरदस्ती से भेज दिया। एक दिन में अभी 20 हजार कमाने का मौका है, वो थोड़े ही बार बार आता है।
मैं- ठीक है दी, अब तू घबरा मत, मैं यही हूँ कुछ दिन ! तेरा और मेरे जीजा का पूरा ख्याल रखूंगी।
दीदी- अच्छा है तू आ गई, कल तो मुझे होटल से खाना मंगवाना पड़ा।
मैं- चल मैं आज तेरी पसंद के राजमा चावल बनाती हूँ।
मैं फ्रेश होकर रसोई में गई और राजमा बनाने लगी। बेबी को राजमा पहले से बहुत पसंद हैं। रात के 8 बजे तक मैं खाना बना चुकी थी। खाना बनाने के बाद मैंने कहा- जीजाजी आ जाएँ रो इकट्ठे खाना खाएँगे !
लेकिन बेबी ने कहा- उनका अभी कोई ठिकाना नहीं है।
इसलिए हम दोनों बहनों ने खाना खा लिया। बेबी को दवाई देकर मैंने सुला दिया और ड्राइंग रूम में जाकर मैं डिस्कवरी चैनल देखने लगी। टीवी देखते देखते दस कब बजे, पता ही नहीं चला।
इतने में घर का मुख्य दरवाजा खुला और जीजाजी अंदर आये, उसने मुझे देखा नहीं और वो फोन पर किसी से लड़ रहे थे।
जीजा- लौड़ा मेरा, साले तुम लोग पार्सल के रेट मन चाहे तरीके से बढ़ा देते हो ! अगर ऐसा ही चला तो मुझे नहीं मंगवाना कुछ भी अब !
उन्होंने मुझे देख कर तुरंत फोन काट दिया और बोले- अरे कोमल, कब आई तू? मुझे बताया भी नहीं, मैं गाड़ी लेकर आ जाता।
मैं- नहीं जीजाजी, आप बीजी हैं ! दी ने बताया मुझे !
जीजा- अरे साली के लिए क्या बीजी क्या फ्री !
मैंने देखा कि जीजा जी को चलने में तकलीफ हो रही थी, उनके पाँव इधर उधर होने लगे थे। वो शायद शराब पी के आया था और इस बात की पुष्टि तब हुई जब वो मेरे पास आकर सोफे पर बैठे, जीजा फुल टुन्न होकर आया था, उसके मुँह से शराब की मुश्क आ रही थी। उनसे सही बैठे भी नहीं जा रहा था।.
मैंने उनसे खाने के लिए पूछा- जीजा जी खाना लगा लूँ?
जीजा- नहीं, मैं बाहर खाकर आया हूँ, तेरी दीदी जाग रही है?
मैं- नहीं दीदी को सोये तो काफी समय हो गया है।
जीजा- ओके !
उन्होंने अपनी टाँगें सोफे पर फ़ैलाई और आँखें बन्द करके लेट गए। उन्होंने अपने जूते, कपड़े ऐसे ही पहने हुए थे और वो सो गए। मैंने कहा भी यह सब उतारने के लिए लेकिन वो कुछ बोले ही नहीं, वो शायद नशे में सो चुके थे।
मैंने सोचा चलो मैं ही जीजा के जूते उतार देती हूँ। मैंने जीजा के पाँव अपनी गोद में लिए और जूते की डोरी खोल कर उतार फेंके। मैंने देखा कि जीजे की पैंट के ऊपर की बेल्ट बहुत टाईट बंधी हुई थी, मैंने सोचा कि इसे भी खोल दूँ। मैं बेल्ट को खोल रही थी, तभी मेरी नजर उसके नीचे पड़ी जहाँ एक बड़ा पर्वत जैसा आकार बना हुआ था।
क्या जीजा का लौड़ा इतना बड़ा था..!?!
पता नहीं क्यूँ, पर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी, मेरा मन कूद रहा था अंदर से ही ! मैंने इससे पहले लौड़ा सिर्फ नंगी मूवीज में ही देखा था लेकिन जीजा का लौड़ा तो पैंट के ऊपर इतना बड़ा आकार बना कर बैठा था कि देख कर ही मुझे ख़ुशी मिल रही थी।
मैंने बेल्ट को खोलने के साथ साथ उनके लौड़े के ऊपर हल्के से अपने हाथ का पीछे वाला हिस्सा लगा दिया। जीजाजी का लौड़ा बहुत सख्त लग रहा था। उनके लौड़े को छूने के बावजूद जीजा हिले नहीं और इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने अब अपना हाथ पूरा रख के लौड़े को अहसास लिया। लौड़ा काफी गरम था और मुझे उसको हाथ लगाते ही चूत के अंदर खुजली होने लगी।
मैं तब तक तो कुंवारी ही थी, मैंने केवल उंगली डाल कर हस्तमैथुन किया था बस !
सच में बड़ा भारी लौड़ा था ! खोल के देख लूँ? जीजा तो नशे में थे !
मेरे मन में लौड़ा देखने के भयानक विचार आने लगे। मैंने सोचा कि जीजा तो वैसे भी नशे में हैं तो पैंट खोली तो उन्हें थोड़े ही पता चलेगा। मैंने धीरे से उनकी ज़िप खोली और देखा कि लौड़ा अंदर अंडरवीयर में छिपा बैठा था। मैंने बटन खोल कर जीजा की पैंट उतार दी।
पता नहीं मुझे क्या हुआ था, मुझे अच्छे बुरे की कोई समझ नहीं रही थी, मैं अपने हाथ को लौड़े के ऊपर रख कर उसे दबाने लगी, फिर मैंने धीरे से अंडरवीयर को खींचा और बालों के गुच्छे के बीच में विराजमान महाराजा को देखा। अच्छा तो यह है लौड़ा !
मैंने पहली बार लाईव लौड़ा देखा था, बिल्कुल मेरी आँखों के सामने जो आधे से भी ज्यादा तना हुआ था। मेरे हाथ रुके नहीं और मेरे दिल में आया कि उसे छू लूँ एक बार !