Garam Bhabhi Ji Ki Chudai प्यासी पड़ोसन भाभी की चुदाई की चाहत

Garam Bhabhi Ji Ki Chudai प्यासी पड़ोसन भाभी की चुदाई की चाहत
गरम भाभी जी की चुदाई का मजा मुझे मेरी पड़ोसन ने दिया. बातों बातों में भाभी से सेक्स के विषय पर बात होने लगी. होते होते हम दोनों चुदाई तक पहुँच गए.

अन्तर्वासना के सभी पाठको को मेरा नमस्कार.
यह कहानी नहीं बल्कि मेरे जीवन की एक सत्य घटना है.

मैं जोधपुर का रहने वाला हूं. मेरा नाम राज है. मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच है और मैं दिखने में सामान्य से जरा अधिक सुंदर हूँ जबकि मेरी बॉडी सामान्य ही है.

मैं यहां अपने लंड की झूठी तारीफ भी नहीं करूंगा. ये सामान्य साइज का ही है मतलब 6 इंच का है.
लेकिन मेरा लंड चूत चोदने में एकदम कड़क और देर तक टिकने वाला है.

मैं एक अच्छे पद पर कार्यरत हूं. मेरी ड्यूटी शहर में है तो छुट्टी के दिन ही गांव जाना होता है.

यह गरम भाभी जी की चुदाई लॉक डाउन के समय की है.
जब हमें वर्क फ्रॉम होम करने का निर्देश मिला तो मैं भी गांव आ गया.

मेरे पड़ोस में रहने वाले भईया बैंगलोर में काम करते हैं.
उनकी शादी एक साल पहले ही हुई थी और उनकी पत्नी जो मेरी भाभी लगती हैं, वो गांव में ही रहती थीं.

शादी के बाद मेरा भाभी से ज्यादा बातचीत नहीं हुई थी लेकिन अब की बार लॉक डाउन की वजह से गांव और गांव के लोगों से मेल जोल काफी बढ़ गया था.

अब मैं भाभी जिनका काल्पनिक नाम मंजू है, उनके बारे में बता रहा हूं.
मंजू भाभी 5 फुट की हाईट की थीं और उनके फिगर की साइज 34-30-36 की है.

भाभी का पिछवाड़ा किसी भी मर्द की नीयत बिगाड़ सकती है.

हुआ यूं कि लॉक डाउन की वजह सब कुछ बंद हो गया था और भाभी की माहवारी आने वाली थी.
उनको पैड मंगवाने थे. मेरे घर की ओर भाभी के घर की एक ही दीवार है, तो भाभी मेरी मां से पैड के बारे में बोल रही थीं कि अब क्या करूं … सारे खत्म हो गए. समझ में नहीं आ रहा है कि किस से और कैसे मंगवाऊँ?

मेरा वीक में एक दिन ऑफिस जाकर रिपोर्ट देना होता था.
मां भाभी से बोलीं- राज से मंगवा ले, मैं तो उससे बोलूंगी नहीं, तुम खुद ही बोल देना. शहर में दवाई की दुकानें तो खुलती हैं.

अगले दिन सुबह भाभी मेरे घर आईं और उन्होंने मां से मेरे बारे में पूछा, तो मां बोलीं- ऊपर है चली जा.
मैं ऐसे ही अनजान बने हुए अपने लैपटॉप में खोया था.

भाभी ने आवाज लगाई और बोलीं- देवर जी आप शहर कब जाओगे?
मैंने कहा- आज ही जाना है, कुछ लाना है क्या?

मंजू भाभी बोलीं- हां, एक काम है.
मैंने कहा- हां बोलो भाभी … आपने पहली बार कोई काम बोला है.

फिर भाभी ने 500 का नोट देते हुए कहा- लेडीज वाला सामान लाना है.
मैंने पूछा- ओके, लेडीज वाला क्या सामान लाना है.

तो भाभी शर्म से बोलीं- पैड.
मैंने पूछा- वो क्या होते हैं?

भाभी बोलीं- ज्यादा भोले मत बनो, माहवारी के समय काम आने वाले पैड लाने हैं.
मैंने मौका देख कर कहा- माहवारी के बाद के लिए भी कुछ चाहिए हो … तो वो भी बताना भाभी!

भाभी शर्मा कर चली गईं.
मेरा तीर निशाने पर लगा.

यहां एक बात बताना चाहूंगा कि महिलाओं की माहवारी के बाद सबसे ज्यादा लंड लेने की इच्छा होती है.

मैंने शाम को भाभी के घर जाकर पैकेट पकड़ा दिया और उसमें जान-बूझकर एक कंडोम का पैकेट डाल दिया था.

पांच दिन बाद दोपहर में भाभी मेरे घर आईं.
उस समय मां और बाबू जी खेत गए हुए थे.

भाभी आईं और उन्होंने आवाज लगाई- राज?
तो मैं बोला- आ जाओ भाभी.

मैं खाट पर लेटा हुआ था.
भाभी मेरे पास आकर खड़ी हो गईं और बोलीं- आपका सामान मेरे पास आ गया था, वही आपको देने आई थी.

मैंने अनजान बनकर पूछा- क्या सामान?
भाभी बोलीं- ज्यादा भोले ना बनो देवर जी, आपको सब पता है. वैसे क्या करोगे उनका? कोई गांव में सैट हो गई क्या?

मैं बोला- हां, एक है … लेकिन इतने दिन से तो उसकी पिच गीली थी, आज आप सही समय पर लाई हो.
भाभी मेरा सामान (कंडोम का पैकेट) हवा में झुलाती हुई मेरी तरफ देखने लगीं.
मैंने भी उनकी आँखों में झाँका.

अब भाभी जलन भाव से बोलीं- कौन है ऐसी राज … जरा मैं भी तो जानू?
मैंने कहा- बैठो तो सही, सब बताता हूँ. अभी आपको उसकी फोटो ही दिखा देता हूं.
भाभी बोलीं- हां दिखाओ.

तो मैंने मेरे फोन का सेल्फी कैमरा ऑन करके भाभी को पकड़ा दिया.
भाभी शर्मा गईं और कंडोम फेंक कर बोलीं- मैं चलती हूं … ये लो आपका सामान.

लपक कर मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और खाट पर गिरा दिया.
मैंने अपने दोनों हाथ भाभी के मम्मों पर रख दिए और भाभी के गले पर चूमते हुए उसके मुँह को चूमना चालू कर दिया.

मंजू भाभी आंहें भरने लगीं और गर्म सांसें लेने लगीं.
वो बोलीं- देवर जी, बहुत तड़पाया आपने … मैं आपसे मिलने की कबसे कोशिश कर रही थी. पूरे एक साल में दो बार चोदा है आपके भाई ने … मेरी प्यास बुझा दो … मुझे अपने आप में समा लो देवर जी … आह … ओह.

मैंने भाभी के होंठों को चूमना और चाटना चालू कर दिया.

फिर भाभी बोलीं- मेरे राजा आज हमारी सुहागरात नहीं तो सुहागदिन का ही नाम दे दो और मुझे चोद कर अपनी बना लो.
भाभी के बूब्स बहुत कड़क थे और बड़े स्तन काफी आकर्षक थे.

मैं उनको चूमने लगा और चाटने लगा. मैंने भाभी का ब्लाउज उतार फेंका और उनके नंगे निप्पल चूसने लगा.
मंजू भाभी तेज आहें भरने लगीं. फिर मैंने सारे कपड़े निकाल दिए और हम दोनों नंगे हो गए.

मेरा लंड देखते ही भाभी उस पर टूट पड़ीं और लपलपा कर चूसने लगीं.
मैंने भी भाभी को 69 पोज में लेकर उनकी चूत चाटने लगा.
आह क्या रसदार चूत थी.

भाभी की चूत में से बहुत ज्यादा पानी निकल रहा था. भाभी गांड उठा उठा कर मुँह पर चूत मार रही थीं.
फिर एक जोरदार अकड़न के साथ भाभी ने पानी छोड़ दिया. मैंने पूरा पानी पी लिया और कुछ पल बाद मैं भी मंजू भाभी के मुँह में झड़ गया.

भाभी बोलीं- देवर जी, बहुत देर हो गई … जल्दी जल्दी काम उठाओ … कोई आ जाएगा तो मजा किरकिरा हो जाएगा … आ अभी इतना ही रहने दो … बाकी का पूरा काम रात को छत के रास्ते मेरे घर में आ जाना, मैं दरवाजा खुला रखूंगी.

मैंने भी ओके कहा और रात को चुदाई समारोह करने की बात तय कर ली.
भाभी अपना मोबाइल नंबर देकर चली गईं.

जैसे ही भाभी का जाना हुआ कि तभी मां घर आ गईं.

मैं सोच रहा था कि आज रात तो भाभी को जबरदस्त चोदूंगा. उनके हर एक अंग को मसलूंगा.

मैंने लंड की तेल से बढ़िया मालिश की. मैं कंडोम के साथ सेक्स की गोलियां भी लाया था.
मैंने तय किया कि गोली खाकर ही जाऊँगा ताकि आज की रात मंजू भाभी कभी ना भूलें.

एक बात हमेशा याद रखना चाहिए दोस्तो कि लड़की की पहली बार ऐसे लेना कि वो वापस कभी नहीं मिलेगी. मतलब चूत को चोदने की जगह पूरी तरह से खोद देना, तभी वो वापस मिलेगी.

ऐसे लेना कि उसकी चूत की आग अपने आप उसे आपके पास आने को मजबूर कर दे.
कभी भी बिना तैयारी के किसी भी महिला के साथ सिर्फ अति आत्मविश्वास से चले गए, तो आपकी हार निश्चित है समझिए … और आगे से वो आपको फिर कभी देना तो दूर, पास आने भी नहीं देगी.

ऐसे मैंने रात की पूरी योजना बनाई और शाम को गोली खा ली.
अब मैं इंतजार करने लगा कि कब मंजू भाभी का फोन आए.

रात के 11 बजे मेरा फोन बजा.
मंजू भाभी बोलीं- देवर जी बहुत देर से इंतजार कर रही थी … अब बस मेरे पास आ ही जाओ मेरे राजा!

मैं तो पहले से ही लंड कड़क किये तैयार बैठा था, मैं छत के रास्ते भाभी के घर में घुस गया.
उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. अन्दर लाल रंग की हल्की रोशनी जल रही थी.

मैं एक लोअर और टी-शर्ट पहने हुए था. मैं एक मिनट के लिए कमरे के बाहर रुक और मैंने इधर उधर देखा.
कहीं कोई नहीं था. चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था.

मैंने अपनी सांसें नियंत्रित की और कमरे में घुस गया.
अन्दर का नजारा बेहद दिलकश था. भाभी ने बेड पर फूलों से सजावट की हुई थी.

कमरे में बिस्तर पर रेशमी चादर थी और उस पर गुलाब की पत्तियों से दिल का आकार बना हुआ था.
मगर भाभी नदारद थीं.

मैंने भाभी को इधर उधर देखा तो सामने एक पर्दा हिला और उसके पीछे से भाभी कयामत बन कर निकल आईं.
उन्होंने एक गुलाबी नेट की बेबीडॉल पहनी हुई थी.
उनके बदन का एक एक अंग मस्त झलक रहा था.

भाभी ने ब्रा पैंटी नहीं पहनी हुई थी जिस वजह से उनके तने हुए दूध और दूध पर कड़क हुए निप्पल मेरे लंड की वाट लगा रहे थे.

भाभी बड़ी अदा से चलती हुई मेरे पास आईं और बेड के पास टेबल पर रखा हुआ दूध का गिलास उठाया कर मेरे होंठों से लगाती हुई बोलीं- लो मेरे राजा, आज मेरे साथ सुहागरात का सुख ले लो.

मैंने भाभी के हाथ से गिलास लिया और उसमें से एक घूंट अपने मुँह में भर कर भाभी के होंठों से अपने होंठ लगा दिए.

भाभी समझ गईं और उन्होंने अपने होंठ खोल दिए.
मैंने अपने मुँह में भर दूध भाभी के मुँह में डाल दिया.

भाभी की आँखों से आँसू छलक आए और उन्होंने आधा दूध पीकर आधा वापस मेरे मुँह में डाल दिया.

इसी तरह से हम दोनों ने पूरा दूध खत्म कर लिया.

उनकी आँखों से ढलकते आँसू देख कर मैंने भाभी को अपनी बाँहों में भर लिया.
मगर भाभी ने मेरी बाँहों से निकल कर मेरे पैरों में अपना सर रख दिया.

मैं एकदम से हड़बड़ा गया कि भाभी ये क्या कर रही हैं.
फिर मैंने उन्हें उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया.

वो कहने लगीं- सच में देवर जी, इतना प्यार मुझे तुम्हारे भैया ने कभी नहीं दिया.
मैंने कहा- अब मुझे देवर ही कहती रहोगी मेरी जान … या अपना पति भी मानोगी?

भाभी ने मुझे चूमा और कहा- आज से तुम ही मेरे सच्चे पति हो.

उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारे और मैंने भाभी को 69 का मजा दिया.
बाद में हम दोनों सीधे चुदाई की पोजीशन में आए और मैंने अपना लंड भाभी की चूत में पेल दिया.

भाभी की चूत अभी एकदम नई नवेली लौंडिया के जैसी टाइट चूत थी.
मेरा लंड भाभी को झेलना भारी पड़ गया था.

किसी तरह से लंड ने चूत में जगह बनाई और गरम भाभी जी की चुदाई का खेल शुरू हुआ.

मैंने दवाई ली हुई थी तो मेरा लंड पत्थर का सा सख्त था और जरा सा भी झुकने को राजी नहीं था.
पहली चुदाई बीस मिनट से ज्यादा चली जिसमें भाभी दो बार स्खलित हुईं.

उसके बाद मैंने उसी रात में भाभी को दो और बार चोदा और वापस अपने घर में आकर सो गया.

सुबह भाभी लंगड़ाती हुई मेरे घर आईं और मम्मी से बात करने लगीं- चाची कोई दर्द की दवा हो तो दे दो बहुत बदन टूट रहा है और बुखार चढ़ा है.

मम्मी ने पूछा- वो तो सब ठीक है, मगर तुझे हुआ क्या है … तू लंगड़ा क्यों रही है?
भाभी ने बहाना बना दिया कि कल आँगन में रपट जाने से मोच आ गई है.

फिर मम्मी ने मुझसे दवा लेकर भाभी को दी.
मैंने भाभी को देख कर एक चुम्मी हवा में उछाल दी.

अगली कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि मैंने कैसे भाभी की गांड भी मारी और उनके साथ ही एक और भाभी की चूत भी मंजू भाभी ने कैसे दिलाई.

Latest Searches

www nonvej story com girlfriend ki gaand thai ladyboy cums in mouth xxx hindi sex story dost ki biwi ki chudai antarvasna hindi story com office sex stories chudai sex story nayi sex kahani chachi ki chudai sex story bhabhi ki cudai ki kahani marwadi sex story man ke sath chudai ki kahani antervishna sexy story kamukta com sex story in hindi maa brother sister incest story sex khaniya in hindi chodai ki hindi kahani maa beta hindi sex stories