Old Gay Uncle Sex Kahani पड़ोस के अंकल को औरत बनाकर चोदा

Old Gay Uncle Sex Kahani पड़ोस के अंकल को औरत बनाकर चोदा
ओल्ड गे अंकल सेक्स कहानी में मैं होली खेलने पड़ोस के अंकल के घर गया। वे अकेले थे। मैं रंग लगाने लगा तो अंकल ने मेरा लंड पकड़ लिया। फिर मैंने उसके साथ क्या किया?

दोस्तो, मेरा नाम अंकित है और मेरी उम्र 30 साल की है। मेरी हाइट 5 फुट 11 इंच है और मेरा वजन 80 किलो है।

मेरी बॉडी एकदम देखने में बॉडी बिल्डरों जैसी लगती है।
कभी-कभी तो मुझे लगता है कि मैं जॉन अब्राहम जैसा दिखता हूं।
लेकिन मेरे बदन का रंग सांवला है।
मेरी बॉडी पर बाल भी बहुत हैं लेकिन मुझे मेरी बॉडी बहुत पसंद है।

मैं आपको अपनी पहली गे चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूं जब मैंने पहली बार एक अंकल की गांड मारी थी।

ओल्ड गे अंकल सेक्स कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको बता दूं कि मेरी शादी हो चुकी है।
मेरी बीवी का नाम अनु है।

मेरी बीवी चुदाई करवाने में नखरे बहुत करती है लेकिन हफ्ते में चार बार तो चुदवा ही लेती है।
रात को किचन का काम खत्म करके जैसे ही वो बेडरूम में आती है, मैं उसको नंगी करके चोद देता हूं।

कभी-कभी जब वो चूत देने से मना करती है तो मैं उसे उसका वादा याद दिलवाता हूं जो उसने शादी से पहले किया था।

शादी से पहले ही मैंने उसको बता दिया था कि उसे रोज चूत देनी पड़ेगी।
उसने हां कर दी थी। इसलिए मैं उसको याद दिलाता हूं कि उसने शादी से पहले ही यह वादा किया था।

वो चूत तो मरवा लेती है लेकिन साली लंड नहीं चूसती है।

चूंकि मैं जिम करता हूं और बॉडी में ताकत बहुत ज्यादा है तो मेरा रोज सेक्स करने का मन करता है।
मैं सेक्स के लिए यहां-वहां कोई छेद ढूंढता रहता हूं।

कभी-कभी तो मैं अपनी मॉम को ही दबोच लेता हूं। वो कहानी मैं कभी फिर सुनाऊंगा।

आज की कहानी बहुत खास है जिसमें मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने एक बुड्ढे अंकल को औरत बनाकर चोदा।

अंकल का नाम गुज्जू है।
वे मेरे पड़ोस में ही रहते हैं और उनकी उम्र 60 साल के करीब है।

उनका शरीर औरतों के जैसा है। ना कोई मसल्स हैं और ना ही ताकत है।

उसके हाथ-पैर भी बहुत पतले और नाजुक हैं जैसे कि औरतों के होते हैं।
अंकल काफी क्यूट लगते हैं। उनकी बीवी भी एकदम माल है।

मैं तो सोचता हूं कि काश उनकी बीवी भी पट जाए और दोनों को एकसाथ चोदूं किसी दिन।
कई बार काम से उनके घर आना-जाना होता था।

बाहर गली में कभी सामना होता तो वो गले मिलकर जाते थे।

अंकल की छाती काफी नर्म महसूस होती थी।
ऐसा लगता था जैसे चूची हों।

छाती काफी ढीली हो चुकी थी और खाल काफी नर्म हो चुकी थी।
एकदम चूचियों वाली फीलिंग आती थी उनको गले लगाकर!

कई बार जब वे हमारे घर आते तो मेरी बॉडी को घूरा करते थे।
खासतौर पर मेरे बाजुओं की मसल्स को, जो बहुत भारी हैं।

वे मेरी छाती को भी बहुत घूरते थे, जो बहुत चौड़ी है और उस पर काफी बाल भी हैं।

जिस दिन की यह घटना है, वो होली का दिन था।
उस होली पर मेरी बीवी मायके गई हुई थी।

मैंने 8-10 दिन से चुदाई नहीं की थी।
मैं किसी छेद में लंड देने के लिए मैं तड़प रहा था।

दोस्तो, वैसे तो मैं मुठ भी मार सकता था लेकिन मुझे चुदाई करने की ऐसी लत लगी हुई है कि हाथ से तो बिल्कुल भी मजा नहीं आता।
मेरा लंड पूरा दिन खड़ा रहता था।
खड़े-खड़े लंड की नसें दुखने लगती थीं।

मेरा बुरा हाल हो रहा था, बस मुझे अब चोदने के लिए कोई चाहिए था।

तो उस दिन होली थी और मैं घर में बोर हो रहा था।

फिर मैं बाहर गली में निकल गया और गुज्जु अंकल के घर गया।
मैंने बेल बजाई तो अंकल ने ही दरवाजा खोला।

उन्होंने सैंडो बनियान और पजामा पहना हुआ था।
मैंने अंकल को रंग लगाया और गले मिला।

उनकी चूचियां मुझे छाती पर महसूस हुईं।
मैंने आंटी के लिए पूछा तो वे भी वहां नहीं थी; कहीं गई हुई थी।

अंकल बोले- कोई नहीं है घर पर, मैं ही हूं सिर्फ।!
मैंने कहा- कोई बात नहीं अंकल, मैं तो आपको होली विश करने के लिए आया था।
वे बोले- तो चलो मैं भी रंग लगा देता हूं।

उन्होंने रंग लिया और मेरे गाल पर लगाने लगे।
फिर मेरी बाइसेप्स पर रंग लगाने लगे।

मैंने सैंडो ही पहना हुआ था।
रंग लगाने के बहाने वो मेरे डोलों को छूकर देख रहे थे।
फिर वो छाती पर रंग लगाने लगे। प्यार से मेरी छाती को सहलाने लगे।

वे बोले- तुम्हारी छाती तो बहुत ही टाइट है, इतने सारे बाल हैं, एकदम उठी हुई है।
मैं बोला- आपकी कैसी है, मुझे भी लगाने दो।

मैंने रंग लिया और उनकी बनियान में हाथ डालकर उनकी चूचियों को सहलाने लगा।
अंकल की छाती बहुत नर्म थी।
ऐसा लग रहा था किसी औरत की चूचियों पर रंग लगा रहा हूं।

अंकल को मेरे सख्त हाथों की छुअन गर्म करने लगी।
उनका हाथ मेरी कमर पर आ गया।
मैं भी गर्म होने लगा था।

रंग के बहाने मैं उनकी चूचियों को भींचने लगा।
अंकल की आह्ह निकल गई, बोले- आह्ह आराम से!

इतने में अंकल ने मेरे लोअर पर हाथ रख दिया।
अंकल का हाथ सीधा मेरे टाइट लंड पर आकर लगा।

लंड छूते ही अंकल मेरी छाती से लिपट गए और बोले- तुम कितने हैंडसम हो!
मैंने कहा- आपको पसंद हूं क्या मैं?

वो बोले- हां बहुत ज्यादा!
अंकल मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही पकड़ कर सहलाने लगे।
फिर बोले- चलो अंदर चलते हैं।

मैं भी पूरा गर्म हो चुका था और अंकल को चोदने के पूरे मूड में हो गया था।

अंदर जाते ही मैंने अंकल का बनियान उतरवा दिया।
उसकी छाती एकदम से गोरी और चिकनी थी।

लटकी हुई छाती बिल्कुल चूचियों की शेप में थी।

मैं अंकल की चूचियों को भींचने लगा।
वे भी मेरे लंड को सहलाने लगे।

फिर मेरी लोअर में हाथ देकर अंडरवियर के ऊपर से लंड को महसूस करने लगे।

मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह सख्त हो चुका था।
ऐसा लग रहा था अब फट जाएगा ये!

मैंने अंकल की चूचियों को जोर से भींच दिया और अंकल की चीख निकल गई- आई ईईई आराम से … दर्द हो गया!

तब मैंने कहा- आप जल्दी से अंदर जाकर नहा लो, फिर आराम से मजे करेंगे। और नहाने के बाद ऊपर कुछ भी मत पहन कर आना।
अंकल बोले- ओके, मैं अभी आता हूं।

वे नहाने चले गए।
तब तक मैंने भी बॉडी पर लगा रंग धो लिया।
कुछ देर बाद वो नहाकर बाहर आ गए।

उन्होंने ऊपर कुछ भी नहीं पहना था।
छाती एकदम नंगी थी और लग रहा था जैसे चूचियां लटक रही हों।

मैं बेड पर था और अंकल को मैंने ऊपर बुलाकर सीधे अपनी गोद में बैठा लिया।
मैंने कहा- हाय मेरी जान … क्या मस्त लग रही हो!

फिर मैंने उनको गालों पर किस किया और फिर मैं अंकल के मम्में सहलाने लगा।

अंकल को मजा आने लगा।
वे आह्ह … अम्म … जैसी आवाजें करने लगे।

फिर मैंने अंकल की चूचियों के निप्पल को जोर से मरोड़ दिया।
वे चीख पड़े- आआ आह!

मैं बोला- नखरे किए तो और ज्यादा दर्द मिलेगा. याद रखना मेरी जान, चुपचाप खुद को मेरे हवाले कर दे।
वो बोले- लेकिन बेटे, दुखता है … दर्द होता है।

मैंने कहा- अबे अब मुझे बेटा-वेटा मत बोल। रंडी है तू मेरी … मेरी रंडी बनकर रहेगी। मुझे सर कहकर बुलाया कर!
वो बोले- ओके अंकित सर!

फिर मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा और खूब दबा दबाकर उसके निप्पल पीये।

फिर मैं बेड से नीचे आ गया और उसको भी नीचे बुला लिया।

मैंने उसका कंधा दबाते हुए उसको घुटनों पर कर लिया।
फिर पूछा- पता है ना क्या करना है मेरी रंडी?
वो बोले- हां सर!

फिर गुज्जु रंडी ने मेरी लोअर नीचे कर दी।
मेरा लौड़ा मेरी फ्रेंची में अकड़ा हुआ था।

7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा लंड उसके मुंह में जाने के लिए तड़प रहा था।

जैसे ही उसने मेरी फ्रेंची नीचे की लंड बाहर आकर फनफनाने लगा।
उसने मेरे लंड को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो मैंने उसके मुंह पर थप्पड़ मार दिया।

मैं बोला- क्या कर रही है मेरी रंडी … हाथ में लेना चाहती है अपने मर्द का लौड़ा?
गुज्जु रंडी बोली- हां अंकित सर, आपका लंड हाथ में लेना चाहती हूं।

मैंने फिर एक थप्पड़ मारा- क्यों मेरी रानी … क्या करेगी इसका हाथ में लेकर?
गुज्जु रंडी ने कहा- चूसूंगी!

मैं बोला- तुझे लंड चूसना पसंद है क्या रंडी?
गुज्जु रंडी- हां, मुझे आपका लंड चूसना है, ये लौड़ा मुंह में लेकर इसका स्वाद चखना है।

उसकी बातें सुनकर मेरा लंड फटने को हो रहा था।

फिर मैंने एक और थप्पड़ मारकर कहा- तो चूस ना मेरी रंडी! देख क्या रही है!

पहले उसने लंड को हाथ में लेकर उसको अच्छे से नापा, फिर उसको लार टपकाते हुए देखने लगी।

इतने में ही मैंने उसका सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया और लौड़ा उसके मुंह में घुसा दिया।
मैं सिर को दबाता चला गया और लंड उसके गले तक फंसा दिया।

तब मैं उसके मुंह में धक्के मारने लगा और उसको उल्टी होने लगी।
मैंने लंड बाहर निकाला तो गुज्जु अंकल को जोर से खांसी होने लगी; उनकी सांस रुक गई थी।

फिर मैं एक मिनट रुका और फिर से मुंह में लंड दे दिया।
अब मैं उनके मुंह को चोदने लगा।

वे बार बार लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मैं चोदता जा रहा था, मैं तो पागल सा हो गया था।

5-7 मिनट के अंदर गुज्जु अंकल की हालत खराब हो गई।
मैंने फिर से लंड को बाहर निकाला।

अंकल का पूरा चेहरा लाल हो गया था और मुंह से लार गिर रही थी।

मेरा लंड भी पूरा उनकी लार में गीला हो चुका था।
मैंने एकदम से उनकी नाक भींच दी और फिर से लौड़ा मुंह में दे दिया।

अब मेरा निकलने वाला था।
तभी मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और उसके चेहरे पर पिचकारी गिरने लगी।

मैंने उसके दोनों गालों, माथे और होंठों पर सब जगह माल गिरा दिया।
अंकल का पूरा चेहरा मेरे वीर्य में सन गया।

मैंने एकदम से उसके बाल खींचकर कहा- रंडी, इसकी एक भी बूंद नीचे नहीं गिरनी चाहिए।
गुज्जु रंडी ने हांफते हुए कहा- ओके अंकित सर!
रंडी ने फिर उंगली से सारा माल धीरे धीरे करके चाट लिया।

माल साफ होने के बाद मैंने उससे पूछा- और बता मेरी जान … अब मैं तेरे लिए क्या करूं?

गुज्जु रंडी बेड पर लेट गई और मुझे पास बुलाकर मेरे हाथ अपने मम्मों पर रखवा दिए।

मैंने अपनी रंडी के मम्में दबाने शुरू किए।
फिर उन्होंने अपना छोटा सा पेंसिल जैसा लंड निकाला और हिलाने लगे।
मैं बगल में लेटकर उनके निप्पल चूसने लगा।

दो मिनट में ही अंकल की आहें निकलने लगीं और उनका पानी जैसा वीर्य छूट गया।
फिर वो शांत हो गए … गुज्जु रंडी शांत हो गई और मेरी छाती पर लेटकर सोने लगी।

मुझे भी नींद आ गई।
फिर एक घंटे बाद मैं उठकर अपने घर आ गया।

उस दिन मैंने पहली बार गे चुसाई का अनुभव लिया था।
लंड चुसाकर मेरी प्यास और बढ़ गई थी।

शाम को बीयर पीकर मैं दोबारा उनके घर पहुंच गया।
उसे भी एक बीयर पिला दी और उसे औरत बनाकर दबाकर चोदा।

उस दिन के बाद से अंकल को मैंने अपनी रंडी बना लिया।

जब मेरी बीवी कहीं बाहर गई हो, या फिर उसके पीरियड चल रहे हों तो मैं गुज्जु अंकल को औरत बनाकर चोदता हूं।

मेरे कई दोस्तों का भी लौड़ा मैंने उसको चुसवाया है।
ओल्ड गे अंकल सेक्स में हम सबको खुश कर देती है।
हमने उसका नाम बदल कर बिंदु रानी कर दिया है।

मैंने उसको ब्रा-पैंटी के सेट लाकर दे रखे हैं।
हम उसने अपनी मर्जी की ब्रा-पैंटी पहनवाते हैं और उसके साथ खूब मजे करते हैं।

वह भी खुशी से ब्रा-पैंटी पहनती है और लौड़ा चूसती है।

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली गे चुदाई की कहानी।

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