Bhabhi Rough Sex Kahani मेरी मेनेजेर के साथ रोज सुहागरात
प्रेषक : हर्ष …
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम हर्ष है और में आज आप सभी को बहुत कमाल की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमें एक 38 साल की औरत एक 21 साल के लड़के के साथ गुलछर्रे उड़ाती है और उसके साथ अपनी चूत चुदाई के बहुत जमकर मज़े लेती है और अपनी प्यासी चूत को उसके लंड से चुदवाकर शांत करती है और अब में उस घटना को थोड़ा विस्तार से आपको बताता हूँ।
दोस्तों में उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी। दोस्तों यह बात मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की है और वहीं पर नौकरी करता हूँ। में दिखने में एकदम ठीक ठाक 21 साल का लड़का हूँ और मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच है। दोस्तों मैंने अपनी 21 की उम्र तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया था और कुछ समय पहले मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन उसकी एक रोड़ दुर्घटना में मौत हो गई थी और तब से मेरी लाईफ रुक सी गई और में बहुत दुखी होकर अपनी नौकरी पर चला गया। दोस्तों यह बात मेरी छुट्टियों के समय की है जब में अपने घर पर लोटा था तो मैंने देखा कि मेरे घर के आस पास सब कुछ बदल सा गया है, क्योंकि में बहुत सालों के बाद अपने घर पर पहुंचा था और अब सब नए नए लोग रहने आ गये थे। में अपने घर पर देर रात तक पहुंचा और बहुत थका होने की वजह से आकर सो गया।
फिर जब सुबह हुई और में सोकर उठा तो मैंने सोचा कि में पास के पार्क में घूमने चला जाता हूँ और वहां पर कोई भी मेरा पुराना दोस्त नहीं था, सब लोग बदल चुके थे और हर एक चेहरा मेरे लिए बिल्कुल नया नया था, क्योंकि में तीन साल से भोपाल में नहीं था और में अपनी पुराने दिनों को याद करते हुए टहलने लगा। तभी मुझे पार्क में एक आंटी दिखी, वो दिखने में एकदम सेक्सी आईटम लग रही थी। उनका वो गदराया हुआ बदन मुझे उनकी तरफ बहुत आकर्षित कर रहा था और अब उन्हे देखकर मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो गया और वो आंटी दिखने में बिल्कुल मस्त थी और उनकी उम्र करीब 30 साल होगी और उनका फिगर तो ऐसा था कि किसी के भी लंड का वीर्य उन्हें सिर्फ देखने से ही निकल जाए, क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बाहर की तरफ झांकते हुए नजर आ रहे थे और उनके फिगर का आकार करीब 38 -35-40 और उनकी लम्बाई 5 फीट 2 इंच थी, लेकिन आप कुछ भी कहो दोस्तों थी वो एकदम पटाका माल। फिर मैंने अब मन ही मन सोचा कि क्यों ना में अब उनके साथ बात करके देखता करता हूँ और में थोड़ी सी हिम्मत करके उनके पास चला गया और फिर में उनसे बोला।
में : हैल्लो आंटी, क्या आप यहाँ पर हर रोज आते हो?
दोस्तों उस समय आंटी थोड़ा पैदल चलने की वजह से थककर पार्क की सीडी पर बैठी हुई थी और उनकी उखड़ती हुई तेज तेज चलती सांसे उनके बूब्स को कुछ ज्यादा ही ऊपर नीचे कर रही थी जिसकी वजह से मुझे उनके बूब्स का बहुत अच्छा नजारा दिख रहा था। मेरी नजर उनकी छाती पर थी और में लगातार घूर घूरकर देखता जा रहा था और अब वो मुझसे बोली..
आंटी : हाँ, में हर दिन सुबह के समय यहाँ पर आती हूँ।
में : वाह आंटी यह तो बहुत अच्छी बात है फिर तो हम हर दिन ऐसे ही मिला करेंगे।
आंटी : हाँ, लेकिन तुम हो कौन? जो मुझसे इस तरह मिलने की बात कह रहे हो और मैंने इससे पहले तुम्हे कभी यहाँ पर नहीं देखा, कहाँ रहते हो तुम?
में : जी हाँ में आपके लिए बिल्कुल नया हूँ, क्योंकि में पिछले तीन साल बाद यहाँ पर आया हूँ, में पास ही में रहता हूँ और यहाँ से बाहर निकलते ही कुछ दूरी पर मेरा घर है और में बाहर नौकरी करता हूँ।
आंटी : वाह तुम तो दिखने में बहुत अच्छे लगते हो और तुम बातें भी बहुत अच्छी कर लेते हो।
में : धन्यवाद आंटी और आप क्या ग्रहणी हो?
आंटी : नहीं नहीं में एक प्राईवेट बैंक में मैनेजर हूँ।
में : वाह आंटी बहुत अच्छा आप दिखने में भी बहुत अच्छी लगती हो और यह सब आपके हर दिन घूमने की वजह से है आपने अपने शरीर पर बहुत ध्यान दिया है।
आंटी : धन्यवाद, चलो अब मेरा घर पर जाने का समय हो गया है, ठीक है में अब चलती हूँ, मुझे फिर जल्दी से तैयार होकर अपने बैंक भी जाना है और भी बहुत सारे काम है।
में : हाँ, ठीक है आंटी में भी बस अब अपने घर पर ही जाने वाला हूँ, चलो हम साथ में चलते है।
फिर हम दोनों साथ साथ उस पार्क से घर के लिए गये और चलते चलते पता लगा कि हमारा घर पास में ही है दोस्तों मेरे घर के सामने वाला घर उन्होंने पिछले दो साल पहले खरीद लिया था और अब हमने एक दूसरे को बाय बोला और अपने अपने घर में चले गये। फिर में तो अपने घर पर जाकर सो गया और दोपहर को में उठा, खाना खाया और मुझे बैंक में चैक से पैसे निकलवाने थे इसलिए में बैंक में चला गया। फिर मैंने देखा कि वो आंटी जो सुबह मुझे पार्क में मिली थी वो उस बैंक की मैनेजर थी और अब आंटी ने भी मुझे अपने केबिन में बुलाया।
आंटी : क्यों तुम यहाँ पर कैसे, क्या तुम यहाँ पर मुझसे मिलने आए हो?
में : हाँ आंटी, आप कुछ यही समझ लो, वैसे मुझे एक काम भी था और मुझे चैक से पैसे निकलवाने थे।
आंटी : ठीक है लाओ दो मुझे अपना चेक, में अभी तुरंत तुम्हारे अकाउंट में डलवा देती हूँ।
में : धन्यवाद आंटी, वैसे आंटी आपने अब तक मुझे अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया।
आंटी : क्यों तुमने भी तो मुझे अपने बारे में कहाँ बताया? पहले तुम अपने बारे में बोलो।
में : आंटी मेरा कोई नहीं है, क्योंकि मैंने अपना घर पांच साल पहले ही छोड़ दिया था। हाँ, लेकिन मुझे अपना कहने वाला पहले कोई एक था, लेकिन यह सब उस भगवान को मंजूर नहीं था कि वो मेरे साथ रहे और में उसके साथ बहुत खुश था और मुझे अपनी जिन्दगी उस समय बहुत अच्छी लगती थी।
आंटी : हाँ, लेकिन वो एक कौन था?
में : अब आपसे क्या छुपाना चार साल पहले मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन उसकी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। मैंने उसे बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो फिर भी मुझे बिल्कुल अकेला छोड़कर चली गई और उसके चले जाने के बाद से में हमेशा के लिए बिल्कुल अकेला रह गया। अब मेरा इस पूरी दुनिया में कोई नहीं है।
आंटी : ओह, मुझे तुम्हारी यह बात सुनकर बहुत दुःख हुआ, तुम्हारे साथ ऊपर वाले ने बहुत बुरा किया, लेकिन कोई बात नहीं जिन्दगी हमे कोई ना कोई दूसरा मौका जरुर देती है, बस हमे उस मौके को अपनी जिन्दगी बनाना है। तुम्हे इतना उदास होनी की जरूरत नहीं है और तुम्हे भी जरुर कोई अच्छा मौका मिलेगा।
में : हाँ ठीक है आंटी अब आपकी बारी है मुझे अपने बारे में भी कुछ बता दो।
आंटी : हाँ ठीक है, मेरी भी हालत तुम्हारे जैसी ही है मेरा भी इस दुनिया में आगे पीछे कोई भी नहीं है। तुम्हारे अंकल ने मुझे दो साल पहले छोड़ दिया था और हमारी तलाक भी हो चुकी है। मेरी एक लड़की भी थी, लेकिन उसे भी उन्होंने केस जीतकर अपने साथ रख लिया और में अब बिल्कुल अकेली हो गई हूँ एकदम तुम्हारी तरह।
में : क्या आंटी? कोर्ट ऐसा कैसे कर सकती है? जबकी लड़की पर माँ का ज़्यादा हक़ होता है, उन्होंने आपके साथ कोई ना कोई धोखाधड़ी जरुर की है, ऐसा कभी नहीं होता जैसा आपके साथ हुआ है।
आंटी : हाँ, लेकिन तुम्हारे अंकल एक बहुत बड़े बिजनेसमेन है और उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है और उस बात का फायदा उठाते हुए उन्होंने मुझे कोर्ट के सामने एक धंधे करने वाली साबित कर दिया था और उन्होंने मेरे किसी दूसरे के साथ नाजायज रिश्ते साबित कर दिए और मैंने अपना सब कुछ खो दिया।
दोस्तों मैंने देखा कि अब आंटी की आँख में से बात करते समय दुःख के आँसू बाहर आ गये है और मेरी नज़रो में अब आंटी की इज्जत और भी ज्यादा बड़ गई थी। फिर कुछ देर बैठकर बात करने के बाद अब बैंक बंद होने वाला था तो मैंने उनसे कहा कि चलो आंटी में आपको घर तक छोड़ देता हूँ।
आंटी : हाँ चलो ठीक है और आज से तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो और तुम मुझे अब आंटी मत बोला करो, मेरा नाम बबिता है, लेकिन तुम मुझे प्यार से प्रिन्सेस बोल सकते हो।
दोस्तों बाईक चलते हुए आंटी ने पीछे बैठकर मुझसे यह सब कहा और मैंने भी उनका मन रखने के लिए उन्हें खुश करने के लिए कहा कि हाँ ठीक है प्रिन्सेस।
फिर उसके अगले दिन में सुबह उठकर पार्क के लिए जा रहा था कि तभी मैंने देखा कि मेरे घर के बाहर बबिता पहले से ही खड़ी खड़ी मेरा इंतजार कर रही है।
में : आप और यहाँ क्यों अभी तक पार्क में नहीं गये?
बबिता : हाँ मैंने सोचा कि क्यों ना हम साथ में चलते है।
में : ओह मुझे माफ़ करना मैंने आपको लेट किया, ठीक है चलो।
फिर हम दोनों वहां से पार्क में चले आए
बबिता : क्या आप मुझे अपनी बाइक पर मेरे बैंक तक छोड़ दोगे?
में : क्यों नहीं, आपको तो में बैंक लेने भी आ सकता हूँ क्योंकि अब आप मेरी दोस्त हो और में घर पर एकदम फ्री हूँ। कम से कम में यह तो में आपके लिए कर सकता हूँ।
बबिता : धन्यवाद।
फिर में कुछ देर घूमने के बाद प्रिन्सेस को उनके बैंक में अपनी बाईक पर लेकर आ गया तो उन्होंने मुझसे बोला कि आप मेरे घर रोज रात को खाना खाने आया करो, क्योंकि में खाना बहुत अच्छा बनाती हूँ और आपके साथ खाना खाने में मुझे बहुत ख़ुशी होगी।
में : हाँ ठीक है प्रिन्सेस।
दोस्तों अब हमने उस दिन से रोजाना साथ में बैठकर खाना खाया और में खाना खाकर कुछ घंटे उनसे बातें करके अपने घर पर चला जाता। हमारे बीच पूरे एक महीने तक हर दिन ऐसा ही चलता रहा। फिर एक दिन शाम को हमने साथ में बैठकर खाना खाया और फिर उसके बाद हम साथ में बैठकर टीवी भी देख रहे थे कि तभी एकदम से बबिता उठकर खड़ी हो गई और वो सीधा अपने रूम में चली गई। फिर कुछ देर बाद मैंने मन ही मन सोचा कि ऐसा क्या हुआ होगा जो वो इस तरह से उठकर चली गई अब में भी चला गया, लेकिन मैंने बाहर खिड़की से अंदर झांककर देखा कि उस समय बबिता ब्लाउज और पेंटी में बैठी हुई थी और उसने अपनी चूत में एक मोमबत्ती डाल रखी थी और वो उस मोमबत्ती को लगातार धीरे धीरे अंदर बाहर कर रही थी। दोस्तों में यह सब देखकर बहुत चकित हो गया और मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था कि बबिता भी क्या कभी ऐसा कर सकती है, लेकिन वो यह सब क्यों कर रही थी और फिर में कुछ देर बाद उन सवालों को अपने मन में लेकर अपने घर पर चला गया, लेकिन अब मुझे यह सब देखने के बाद नींद भी नहीं आ रही थी और मुझे बस सपनों में भी बबिता और उसकी वो मोमबत्ती से चुदाई नज़र आ रही थी। अब मैंने रात भर उसके बारे में सोचा कि उसे भी एक अच्छे दोस्त के सहारे की बहुत ज़रूरत है और मुझे भी। फिर अगले दिन जब हम पार्क में जाने के लिए मिले तो मैंने उससे बोला..
में : क्यों आपको में कैसा लगा?
बबिता : आप अच्छे हो।
में : अब में चाहता हूँ कि हम दोनों को अब एक अच्छे दोस्त से और भी कुछ बनना चाहिए।
बबिता : आपका क्या मतलब है?
दोस्तों मैंने झट से उसका एक हाथ अपने हाथ से पकड़ते हुए उससे कहा।
में : में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ बबिता, देखो अब तुम मुझसे ना मत बोलना, मैंने कल रात को बहुत देर तक सोचा है कि आपको भी किसी सहारे की ज़रूरत है और मुझे भी और अब हम एक दूसरे के एक बहुत अच्छे दोस्त भी है। दोस्तों कुछ देर सोचने के बाद बबिता ने मुझे हाँ कह दिया। अब में और वो उसी दिन रात को घूमने बाहर चले गये। फिर हमने बाहर एक अच्छी सी होटल में रात का खाना खाया और उसके बाद हम फिल्म देखने चले गये। हमने एक दूसरे का हाथ पकड़कर पूरी फिल्म देखी और फिर जब सड़क पर कोई नहीं था तो मैंने उसके होंठो पर किस भी किए, जिसकी वजह से वो पूरी तरह से गरम हो गई थी। फिर जब हम अपने घर पर आ रहे थे तो उसने मुझसे कहा कि आज तुम मेरे घर पर ही सोना, मुझे तुमसे कुछ काम है।
में : हाँ ठीक है मेरी जान।
फिर हम दोनों अपने घर पर पहुंच गये। मैंने अपनी बाईक को खड़ा और पास के एक मेडिकल से कंडोम का पैकेट ले लिया और फिर में बबिता के घर पर पहुंच गया। फिर जैसे ही मैंने दरवाज़ा बजाया तो तुरंत बबिता ने दरवाज़ा खोल दिया, जैसे कि वो मेरा ही इंतजार कर रही हो। अब मैंने देखा कि बबिता आज पहली बार मेरे सामने गाऊन पहनकर खड़ी हुई थी, वो गाऊन लाल कलर का थी और उससे साफ साफ पता चल रहा था कि बबिता ने ब्रा काली कलर की पहनी हुई थी और उसके एक हाथ में सिगार था जिसे वो बहुत मज़े ले लेकर पी रही थी।
में : वाह आपका यह गाऊन आपके ऊपर बहुत जंच रहा है और आप इसमे बहुत सुंदर लग रही हो।
फिर बबिता ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और उसने सीधे मेरे होंठो पर किस किया, जिसकी वजह से मेरे मुहं में उसकी सिगार का धुंआ चला गया, लेकिन बहुत मज़ा आ रहा था। फिर पांच मिनट तक किस करने के बाद वो तुरंत मुझसे छूटकर बाथरूम में चली गई और में समझ गया कि बबिता अब झड़ने वाली है। फिर वो कुछ देर बाद बाथरूम से वापस आई और सीधे आकर मेरी गोद में बैठ गई, जिसकी वजह से मेरा तनकर खड़ा हुआ लंड उसकी गांड को छू रहा था। फिर वो और भी जोश में आ गई और मेरे मुहं में अपना मुहं डालकर मेरे साथ चुम्माचाटी करने लगी। मैंने भी उसका पूरा पूरा साथ दिया और अब हम दोनों एक एक करके झड़ गये, वो दोबारा उठकर बाथरूम में चली गई और अपनी पेंटी को बदलकर आ गई। फिर में उसके आ जाने के बाद बाथरूम में गया और अपने लंड को अच्छी तरह से धोकर अंडरवियर पहनकर बेडरूम में आकर चुपचाप सो गया। फिर कुछ देर बाद वो आई और मेरे पास में लेट गई, कुछ देर बाद अचानक से वो उठी और उसने एक सिगरेट निकली और जलाई, फिर बहुत आराम से बेड पर बैठकर पीने लगी और फिर सो गई।
फिर अगले दिन रात के करीब 8 बज गये थे और में बबिता के घर पर चला गया। मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि बबिता उस समय ब्रा और पेंटी में दरवाज़ा खोलकर सिगार पीते हुए बैठकर ना जाने क्या सोच रही है?
में : क्या बबिता, क्या आज तुम मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो?
बबिता : हाँ मेरी जान, आज से में तुम्हारी ही बनना चाहती हूँ।
में : हाँ, में भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, तुम मुझे बहुत अच्छी लगी हो।
फिर मैंने दरवाज़ा बंद किया और अब हम टीवी देखते देखते लेपटॉप पर ब्लूफिल्म देखने लगे और अब हमारा सेक्स करने का मूड बन गया और सबसे पहले मैंने बबिता को एक फ्रेंच किस किया और करीब पांच मिनट तक मैंने उसकी जीभ चाटी और बहुत मज़े किए। फिर बबिता की पेंटी को उतार दिया और अब मुझे बबिता की चूत में बाल ही बाल दिख रहे थे और ऐसा लग रहा था कि बाल बबिता के चूत से निकलते हुए रस की वजह से पूरे भीगे हुए थे। फिर मैंने बबिता को तुरंत बेड पर लेटा दिया और उसकी चूत के ऊपर अपना मुहं रखकर में भी लेट गया और करीब मैंने दस मिनट तक उसकी चूत के बालों को चाटा और फिर उसकी चूत में अपनी जीभ को डाल दिया, जिसकी वजह से बबिता सिसकियाँ लेने लगी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर बबिता सिसकियों के साथ मेरे मुहं पर झड़ गई और में उसका रस पी गया। फिर उसके बाद बबिता ने मेरा अंडरवियर उतार दिया और वो मेरा 7 इंच लंबा मोटा लंड देखकर एकदम से चकित हो गई और धीरे धीरे मदहोश हो गई। फिर मैंने भी उस मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड उसके मुहं में डाल दिया और वो चूस चूसकर मज़े लेने लगी। फिर कुछ देर बाद में भी झड़ गया और मेरा पूरा वीर्य उसके मुहं में चला गया और वो उसे बहुत मज़े लेकर पी गई और अब उसने जोश में आकर अपनी ब्रा को भी उतार दिया और वो मुझसे बोली कि आओ राजा एक बार तुम मेरे बूब्स को भी चखकर देख लो।
फिर मैंने तुरंत अपना मुहं उसके गोरे गोरे बूब्स की हल्की भूरी निप्पल पर रख दिया जो बहुत टाईट थी और करीब में 15 मिनट तक उसके एक एक बूब्स को दबा दबाकर उनका दूध पीता रहा। अब उसने मेरे सर को उसके बूब्स के ऊपर दबा दिया और फिर उसने एक सिगार को जला लिया और पीने लगी। फिर कुछ देर बूब्स चूसने दबाने के बाद मैंने बूब्स को छोड़कर नीचे आकर उसकी गीली, गरम, चूत के मुहं पर अपना खड़ा लंड रख दिया और अब धीरे से अंदर सरकाने लगा। फिर जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी चूत में गया तो वैसे ही वो चीखने लगी और ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी आअहहहह उम्म्म आईईईई और मेरे करीब दस मिनट तक धक्के देने के बाद वो झड़ गई, लेकिन में अभी भी नहीं झड़ा था और फिर मैंने उसे डोगी स्टाईल में बैठाकर उसकी गांड में लंड डालकर उसकी गांड मारी और वो दर्द के साथ साथ उस मज़े को लेकर मुझसे चुदवाती रही और में जोरदार धक्के दे देकर उसे चोदता रहा और करीब 15 मिनट के धक्कों के बाद में भी अब झड़ गया। फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर खींचकर उसके मुहं में डाल दिया और उसको उसने चाट चाटकर साफ किया।
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम हर्ष है और में आज आप सभी को बहुत कमाल की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमें एक 38 साल की औरत एक 21 साल के लड़के के साथ गुलछर्रे उड़ाती है और उसके साथ अपनी चूत चुदाई के बहुत जमकर मज़े लेती है और अपनी प्यासी चूत को उसके लंड से चुदवाकर शांत करती है और अब में उस घटना को थोड़ा विस्तार से आपको बताता हूँ।
दोस्तों में उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी। दोस्तों यह बात मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की है और वहीं पर नौकरी करता हूँ। में दिखने में एकदम ठीक ठाक 21 साल का लड़का हूँ और मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच है। दोस्तों मैंने अपनी 21 की उम्र तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया था और कुछ समय पहले मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन उसकी एक रोड़ दुर्घटना में मौत हो गई थी और तब से मेरी लाईफ रुक सी गई और में बहुत दुखी होकर अपनी नौकरी पर चला गया। दोस्तों यह बात मेरी छुट्टियों के समय की है जब में अपने घर पर लोटा था तो मैंने देखा कि मेरे घर के आस पास सब कुछ बदल सा गया है, क्योंकि में बहुत सालों के बाद अपने घर पर पहुंचा था और अब सब नए नए लोग रहने आ गये थे। में अपने घर पर देर रात तक पहुंचा और बहुत थका होने की वजह से आकर सो गया।
फिर जब सुबह हुई और में सोकर उठा तो मैंने सोचा कि में पास के पार्क में घूमने चला जाता हूँ और वहां पर कोई भी मेरा पुराना दोस्त नहीं था, सब लोग बदल चुके थे और हर एक चेहरा मेरे लिए बिल्कुल नया नया था, क्योंकि में तीन साल से भोपाल में नहीं था और में अपनी पुराने दिनों को याद करते हुए टहलने लगा। तभी मुझे पार्क में एक आंटी दिखी, वो दिखने में एकदम सेक्सी आईटम लग रही थी। उनका वो गदराया हुआ बदन मुझे उनकी तरफ बहुत आकर्षित कर रहा था और अब उन्हे देखकर मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो गया और वो आंटी दिखने में बिल्कुल मस्त थी और उनकी उम्र करीब 30 साल होगी और उनका फिगर तो ऐसा था कि किसी के भी लंड का वीर्य उन्हें सिर्फ देखने से ही निकल जाए, क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बाहर की तरफ झांकते हुए नजर आ रहे थे और उनके फिगर का आकार करीब 38 -35-40 और उनकी लम्बाई 5 फीट 2 इंच थी, लेकिन आप कुछ भी कहो दोस्तों थी वो एकदम पटाका माल। फिर मैंने अब मन ही मन सोचा कि क्यों ना में अब उनके साथ बात करके देखता करता हूँ और में थोड़ी सी हिम्मत करके उनके पास चला गया और फिर में उनसे बोला।
में : हैल्लो आंटी, क्या आप यहाँ पर हर रोज आते हो?
दोस्तों उस समय आंटी थोड़ा पैदल चलने की वजह से थककर पार्क की सीडी पर बैठी हुई थी और उनकी उखड़ती हुई तेज तेज चलती सांसे उनके बूब्स को कुछ ज्यादा ही ऊपर नीचे कर रही थी जिसकी वजह से मुझे उनके बूब्स का बहुत अच्छा नजारा दिख रहा था। मेरी नजर उनकी छाती पर थी और में लगातार घूर घूरकर देखता जा रहा था और अब वो मुझसे बोली..
आंटी : हाँ, में हर दिन सुबह के समय यहाँ पर आती हूँ।
में : वाह आंटी यह तो बहुत अच्छी बात है फिर तो हम हर दिन ऐसे ही मिला करेंगे।
आंटी : हाँ, लेकिन तुम हो कौन? जो मुझसे इस तरह मिलने की बात कह रहे हो और मैंने इससे पहले तुम्हे कभी यहाँ पर नहीं देखा, कहाँ रहते हो तुम?
में : जी हाँ में आपके लिए बिल्कुल नया हूँ, क्योंकि में पिछले तीन साल बाद यहाँ पर आया हूँ, में पास ही में रहता हूँ और यहाँ से बाहर निकलते ही कुछ दूरी पर मेरा घर है और में बाहर नौकरी करता हूँ।
आंटी : वाह तुम तो दिखने में बहुत अच्छे लगते हो और तुम बातें भी बहुत अच्छी कर लेते हो।
में : धन्यवाद आंटी और आप क्या ग्रहणी हो?
आंटी : नहीं नहीं में एक प्राईवेट बैंक में मैनेजर हूँ।
में : वाह आंटी बहुत अच्छा आप दिखने में भी बहुत अच्छी लगती हो और यह सब आपके हर दिन घूमने की वजह से है आपने अपने शरीर पर बहुत ध्यान दिया है।
आंटी : धन्यवाद, चलो अब मेरा घर पर जाने का समय हो गया है, ठीक है में अब चलती हूँ, मुझे फिर जल्दी से तैयार होकर अपने बैंक भी जाना है और भी बहुत सारे काम है।
में : हाँ, ठीक है आंटी में भी बस अब अपने घर पर ही जाने वाला हूँ, चलो हम साथ में चलते है।
फिर हम दोनों साथ साथ उस पार्क से घर के लिए गये और चलते चलते पता लगा कि हमारा घर पास में ही है दोस्तों मेरे घर के सामने वाला घर उन्होंने पिछले दो साल पहले खरीद लिया था और अब हमने एक दूसरे को बाय बोला और अपने अपने घर में चले गये। फिर में तो अपने घर पर जाकर सो गया और दोपहर को में उठा, खाना खाया और मुझे बैंक में चैक से पैसे निकलवाने थे इसलिए में बैंक में चला गया। फिर मैंने देखा कि वो आंटी जो सुबह मुझे पार्क में मिली थी वो उस बैंक की मैनेजर थी और अब आंटी ने भी मुझे अपने केबिन में बुलाया।
आंटी : क्यों तुम यहाँ पर कैसे, क्या तुम यहाँ पर मुझसे मिलने आए हो?
में : हाँ आंटी, आप कुछ यही समझ लो, वैसे मुझे एक काम भी था और मुझे चैक से पैसे निकलवाने थे।
आंटी : ठीक है लाओ दो मुझे अपना चेक, में अभी तुरंत तुम्हारे अकाउंट में डलवा देती हूँ।
में : धन्यवाद आंटी, वैसे आंटी आपने अब तक मुझे अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया।
आंटी : क्यों तुमने भी तो मुझे अपने बारे में कहाँ बताया? पहले तुम अपने बारे में बोलो।
में : आंटी मेरा कोई नहीं है, क्योंकि मैंने अपना घर पांच साल पहले ही छोड़ दिया था। हाँ, लेकिन मुझे अपना कहने वाला पहले कोई एक था, लेकिन यह सब उस भगवान को मंजूर नहीं था कि वो मेरे साथ रहे और में उसके साथ बहुत खुश था और मुझे अपनी जिन्दगी उस समय बहुत अच्छी लगती थी।
आंटी : हाँ, लेकिन वो एक कौन था?
में : अब आपसे क्या छुपाना चार साल पहले मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन उसकी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। मैंने उसे बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो फिर भी मुझे बिल्कुल अकेला छोड़कर चली गई और उसके चले जाने के बाद से में हमेशा के लिए बिल्कुल अकेला रह गया। अब मेरा इस पूरी दुनिया में कोई नहीं है।
आंटी : ओह, मुझे तुम्हारी यह बात सुनकर बहुत दुःख हुआ, तुम्हारे साथ ऊपर वाले ने बहुत बुरा किया, लेकिन कोई बात नहीं जिन्दगी हमे कोई ना कोई दूसरा मौका जरुर देती है, बस हमे उस मौके को अपनी जिन्दगी बनाना है। तुम्हे इतना उदास होनी की जरूरत नहीं है और तुम्हे भी जरुर कोई अच्छा मौका मिलेगा।
में : हाँ ठीक है आंटी अब आपकी बारी है मुझे अपने बारे में भी कुछ बता दो।
आंटी : हाँ ठीक है, मेरी भी हालत तुम्हारे जैसी ही है मेरा भी इस दुनिया में आगे पीछे कोई भी नहीं है। तुम्हारे अंकल ने मुझे दो साल पहले छोड़ दिया था और हमारी तलाक भी हो चुकी है। मेरी एक लड़की भी थी, लेकिन उसे भी उन्होंने केस जीतकर अपने साथ रख लिया और में अब बिल्कुल अकेली हो गई हूँ एकदम तुम्हारी तरह।
में : क्या आंटी? कोर्ट ऐसा कैसे कर सकती है? जबकी लड़की पर माँ का ज़्यादा हक़ होता है, उन्होंने आपके साथ कोई ना कोई धोखाधड़ी जरुर की है, ऐसा कभी नहीं होता जैसा आपके साथ हुआ है।
आंटी : हाँ, लेकिन तुम्हारे अंकल एक बहुत बड़े बिजनेसमेन है और उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है और उस बात का फायदा उठाते हुए उन्होंने मुझे कोर्ट के सामने एक धंधे करने वाली साबित कर दिया था और उन्होंने मेरे किसी दूसरे के साथ नाजायज रिश्ते साबित कर दिए और मैंने अपना सब कुछ खो दिया।
दोस्तों मैंने देखा कि अब आंटी की आँख में से बात करते समय दुःख के आँसू बाहर आ गये है और मेरी नज़रो में अब आंटी की इज्जत और भी ज्यादा बड़ गई थी। फिर कुछ देर बैठकर बात करने के बाद अब बैंक बंद होने वाला था तो मैंने उनसे कहा कि चलो आंटी में आपको घर तक छोड़ देता हूँ।
आंटी : हाँ चलो ठीक है और आज से तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो और तुम मुझे अब आंटी मत बोला करो, मेरा नाम बबिता है, लेकिन तुम मुझे प्यार से प्रिन्सेस बोल सकते हो।
दोस्तों बाईक चलते हुए आंटी ने पीछे बैठकर मुझसे यह सब कहा और मैंने भी उनका मन रखने के लिए उन्हें खुश करने के लिए कहा कि हाँ ठीक है प्रिन्सेस।
फिर उसके अगले दिन में सुबह उठकर पार्क के लिए जा रहा था कि तभी मैंने देखा कि मेरे घर के बाहर बबिता पहले से ही खड़ी खड़ी मेरा इंतजार कर रही है।
में : आप और यहाँ क्यों अभी तक पार्क में नहीं गये?
बबिता : हाँ मैंने सोचा कि क्यों ना हम साथ में चलते है।
में : ओह मुझे माफ़ करना मैंने आपको लेट किया, ठीक है चलो।
फिर हम दोनों वहां से पार्क में चले आए
बबिता : क्या आप मुझे अपनी बाइक पर मेरे बैंक तक छोड़ दोगे?
में : क्यों नहीं, आपको तो में बैंक लेने भी आ सकता हूँ क्योंकि अब आप मेरी दोस्त हो और में घर पर एकदम फ्री हूँ। कम से कम में यह तो में आपके लिए कर सकता हूँ।
बबिता : धन्यवाद।
फिर में कुछ देर घूमने के बाद प्रिन्सेस को उनके बैंक में अपनी बाईक पर लेकर आ गया तो उन्होंने मुझसे बोला कि आप मेरे घर रोज रात को खाना खाने आया करो, क्योंकि में खाना बहुत अच्छा बनाती हूँ और आपके साथ खाना खाने में मुझे बहुत ख़ुशी होगी।
में : हाँ ठीक है प्रिन्सेस।
दोस्तों अब हमने उस दिन से रोजाना साथ में बैठकर खाना खाया और में खाना खाकर कुछ घंटे उनसे बातें करके अपने घर पर चला जाता। हमारे बीच पूरे एक महीने तक हर दिन ऐसा ही चलता रहा। फिर एक दिन शाम को हमने साथ में बैठकर खाना खाया और फिर उसके बाद हम साथ में बैठकर टीवी भी देख रहे थे कि तभी एकदम से बबिता उठकर खड़ी हो गई और वो सीधा अपने रूम में चली गई। फिर कुछ देर बाद मैंने मन ही मन सोचा कि ऐसा क्या हुआ होगा जो वो इस तरह से उठकर चली गई अब में भी चला गया, लेकिन मैंने बाहर खिड़की से अंदर झांककर देखा कि उस समय बबिता ब्लाउज और पेंटी में बैठी हुई थी और उसने अपनी चूत में एक मोमबत्ती डाल रखी थी और वो उस मोमबत्ती को लगातार धीरे धीरे अंदर बाहर कर रही थी। दोस्तों में यह सब देखकर बहुत चकित हो गया और मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था कि बबिता भी क्या कभी ऐसा कर सकती है, लेकिन वो यह सब क्यों कर रही थी और फिर में कुछ देर बाद उन सवालों को अपने मन में लेकर अपने घर पर चला गया, लेकिन अब मुझे यह सब देखने के बाद नींद भी नहीं आ रही थी और मुझे बस सपनों में भी बबिता और उसकी वो मोमबत्ती से चुदाई नज़र आ रही थी। अब मैंने रात भर उसके बारे में सोचा कि उसे भी एक अच्छे दोस्त के सहारे की बहुत ज़रूरत है और मुझे भी। फिर अगले दिन जब हम पार्क में जाने के लिए मिले तो मैंने उससे बोला..
में : क्यों आपको में कैसा लगा?
बबिता : आप अच्छे हो।
में : अब में चाहता हूँ कि हम दोनों को अब एक अच्छे दोस्त से और भी कुछ बनना चाहिए।
बबिता : आपका क्या मतलब है?
दोस्तों मैंने झट से उसका एक हाथ अपने हाथ से पकड़ते हुए उससे कहा।
में : में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ बबिता, देखो अब तुम मुझसे ना मत बोलना, मैंने कल रात को बहुत देर तक सोचा है कि आपको भी किसी सहारे की ज़रूरत है और मुझे भी और अब हम एक दूसरे के एक बहुत अच्छे दोस्त भी है। दोस्तों कुछ देर सोचने के बाद बबिता ने मुझे हाँ कह दिया। अब में और वो उसी दिन रात को घूमने बाहर चले गये। फिर हमने बाहर एक अच्छी सी होटल में रात का खाना खाया और उसके बाद हम फिल्म देखने चले गये। हमने एक दूसरे का हाथ पकड़कर पूरी फिल्म देखी और फिर जब सड़क पर कोई नहीं था तो मैंने उसके होंठो पर किस भी किए, जिसकी वजह से वो पूरी तरह से गरम हो गई थी। फिर जब हम अपने घर पर आ रहे थे तो उसने मुझसे कहा कि आज तुम मेरे घर पर ही सोना, मुझे तुमसे कुछ काम है।
में : हाँ ठीक है मेरी जान।
फिर हम दोनों अपने घर पर पहुंच गये। मैंने अपनी बाईक को खड़ा और पास के एक मेडिकल से कंडोम का पैकेट ले लिया और फिर में बबिता के घर पर पहुंच गया। फिर जैसे ही मैंने दरवाज़ा बजाया तो तुरंत बबिता ने दरवाज़ा खोल दिया, जैसे कि वो मेरा ही इंतजार कर रही हो। अब मैंने देखा कि बबिता आज पहली बार मेरे सामने गाऊन पहनकर खड़ी हुई थी, वो गाऊन लाल कलर का थी और उससे साफ साफ पता चल रहा था कि बबिता ने ब्रा काली कलर की पहनी हुई थी और उसके एक हाथ में सिगार था जिसे वो बहुत मज़े ले लेकर पी रही थी।
में : वाह आपका यह गाऊन आपके ऊपर बहुत जंच रहा है और आप इसमे बहुत सुंदर लग रही हो।
फिर बबिता ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और उसने सीधे मेरे होंठो पर किस किया, जिसकी वजह से मेरे मुहं में उसकी सिगार का धुंआ चला गया, लेकिन बहुत मज़ा आ रहा था। फिर पांच मिनट तक किस करने के बाद वो तुरंत मुझसे छूटकर बाथरूम में चली गई और में समझ गया कि बबिता अब झड़ने वाली है। फिर वो कुछ देर बाद बाथरूम से वापस आई और सीधे आकर मेरी गोद में बैठ गई, जिसकी वजह से मेरा तनकर खड़ा हुआ लंड उसकी गांड को छू रहा था। फिर वो और भी जोश में आ गई और मेरे मुहं में अपना मुहं डालकर मेरे साथ चुम्माचाटी करने लगी। मैंने भी उसका पूरा पूरा साथ दिया और अब हम दोनों एक एक करके झड़ गये, वो दोबारा उठकर बाथरूम में चली गई और अपनी पेंटी को बदलकर आ गई। फिर में उसके आ जाने के बाद बाथरूम में गया और अपने लंड को अच्छी तरह से धोकर अंडरवियर पहनकर बेडरूम में आकर चुपचाप सो गया। फिर कुछ देर बाद वो आई और मेरे पास में लेट गई, कुछ देर बाद अचानक से वो उठी और उसने एक सिगरेट निकली और जलाई, फिर बहुत आराम से बेड पर बैठकर पीने लगी और फिर सो गई।
फिर अगले दिन रात के करीब 8 बज गये थे और में बबिता के घर पर चला गया। मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि बबिता उस समय ब्रा और पेंटी में दरवाज़ा खोलकर सिगार पीते हुए बैठकर ना जाने क्या सोच रही है?
में : क्या बबिता, क्या आज तुम मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो?
बबिता : हाँ मेरी जान, आज से में तुम्हारी ही बनना चाहती हूँ।
में : हाँ, में भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, तुम मुझे बहुत अच्छी लगी हो।
फिर मैंने दरवाज़ा बंद किया और अब हम टीवी देखते देखते लेपटॉप पर ब्लूफिल्म देखने लगे और अब हमारा सेक्स करने का मूड बन गया और सबसे पहले मैंने बबिता को एक फ्रेंच किस किया और करीब पांच मिनट तक मैंने उसकी जीभ चाटी और बहुत मज़े किए। फिर बबिता की पेंटी को उतार दिया और अब मुझे बबिता की चूत में बाल ही बाल दिख रहे थे और ऐसा लग रहा था कि बाल बबिता के चूत से निकलते हुए रस की वजह से पूरे भीगे हुए थे। फिर मैंने बबिता को तुरंत बेड पर लेटा दिया और उसकी चूत के ऊपर अपना मुहं रखकर में भी लेट गया और करीब मैंने दस मिनट तक उसकी चूत के बालों को चाटा और फिर उसकी चूत में अपनी जीभ को डाल दिया, जिसकी वजह से बबिता सिसकियाँ लेने लगी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर बबिता सिसकियों के साथ मेरे मुहं पर झड़ गई और में उसका रस पी गया। फिर उसके बाद बबिता ने मेरा अंडरवियर उतार दिया और वो मेरा 7 इंच लंबा मोटा लंड देखकर एकदम से चकित हो गई और धीरे धीरे मदहोश हो गई। फिर मैंने भी उस मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड उसके मुहं में डाल दिया और वो चूस चूसकर मज़े लेने लगी। फिर कुछ देर बाद में भी झड़ गया और मेरा पूरा वीर्य उसके मुहं में चला गया और वो उसे बहुत मज़े लेकर पी गई और अब उसने जोश में आकर अपनी ब्रा को भी उतार दिया और वो मुझसे बोली कि आओ राजा एक बार तुम मेरे बूब्स को भी चखकर देख लो।
फिर मैंने तुरंत अपना मुहं उसके गोरे गोरे बूब्स की हल्की भूरी निप्पल पर रख दिया जो बहुत टाईट थी और करीब में 15 मिनट तक उसके एक एक बूब्स को दबा दबाकर उनका दूध पीता रहा। अब उसने मेरे सर को उसके बूब्स के ऊपर दबा दिया और फिर उसने एक सिगार को जला लिया और पीने लगी। फिर कुछ देर बूब्स चूसने दबाने के बाद मैंने बूब्स को छोड़कर नीचे आकर उसकी गीली, गरम, चूत के मुहं पर अपना खड़ा लंड रख दिया और अब धीरे से अंदर सरकाने लगा। फिर जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी चूत में गया तो वैसे ही वो चीखने लगी और ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी आअहहहह उम्म्म आईईईई और मेरे करीब दस मिनट तक धक्के देने के बाद वो झड़ गई, लेकिन में अभी भी नहीं झड़ा था और फिर मैंने उसे डोगी स्टाईल में बैठाकर उसकी गांड में लंड डालकर उसकी गांड मारी और वो दर्द के साथ साथ उस मज़े को लेकर मुझसे चुदवाती रही और में जोरदार धक्के दे देकर उसे चोदता रहा और करीब 15 मिनट के धक्कों के बाद में भी अब झड़ गया। फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर खींचकर उसके मुहं में डाल दिया और उसको उसने चाट चाटकर साफ किया।