Bus Xxx Anal Chudai Kahani भाभी की चूत का दरवाजा खोला
हैल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम बबलू है मेरी यह स्टोरी बिल्कुल सच्ची है. ये स्टोरी मेरी और मेरी भाभी रेशमा की है जो कि मेरे दिल की रानी है. यह कहानी तब से शुरू हुई जब रेशमा दुल्हन बनकर मेरे घर आई थी. रेशमा की शादी को 6 साल हो चुके है और वो मेरे भाई की पत्नी है, रेशमा अभी 34 साल की है और ये हमारी चुदाई की घटना 3 महीने पहले की है. में जुलाई के महीने में अपने गावं गया था जो कि उत्तर प्रदेश में है. मेरे गावं में मेरे बड़े ताऊ जी, उनकी पत्नी, उनका बेटा और उनकी बहु रेशमा रहती है, रेशमा को 1 बेटा और 1 बेटी है. एक सुबह में लेट सोकर उठा, करीब दिन के 11 बज गये थे, क्योंकि मैंने पिछली रात जमकर शराब पी थी तो उसका खुमार छाया हुआ था.
फिर उठकर में पीछे आँगन की तरफ गया जहाँ पर हेण्डपम्प लगा था और नहाने और मुँह हाथ धोने की पूरी व्यवस्था थी. उस समय घर पर कोई नहीं था, क्योंकि ताऊ जी और भाई खेत पर गये थे और दोनों बच्चे स्कूल गये थे और ताई जी भी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, तो में मुँह हाथ धोने आँगन की तरफ़ गया और में जैसे ही वहाँ पहुँचा तो वहां का सीन देखकर में हिल गया, मेरी सारी खुमारी छू मंतर हो गयी.
मेरी रेशमा भाभी हेण्डपम्प के पास बैठकर नहा रही थी और उसके बदन पर सिर्फ़ एक लाल रंग का पेटीकोट था, जिससे उसने अपनी दोनों चूचीयाँ ढक रखी थी और पेटिकोट घुटने तक फैला हुआ था. गावं में औरतें ऐसी ही नहाती है. रेशमा की पीठ मेरी तरफ थी और वो ठंडे-ठंडे पानी से नहाने का लुफ्त उठा रही थी. रेशमा की पीठ दूध की तरह गोरी थी, मुझे पीछे से उसकी गोरी-गोरी नंगी पीठ उत्तेजित कर रही थी. वो लगभग कमर तक नंगी थी और मेरा लंड उसकी पूरी नंगी पीठ को देखकर तन गया था.
अब रेशमा ने साबुन लगाना स्टार्ट कर दिया, पहले उसने अपने पैरो पर साबुन लगाया और ढेर सारा झाग बनाया, फिर साबुन लगाते-लगाते उसका हाथ घुटनो तक पहुँच गया तभी अचानक उसने अपने पेटिकोट को ऊपर खींचा और लगभग कमर तक उठा लिया. अब मुझे उसकी गोरी-गोरी जांघें साईड से दिखने लगी. मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि रेशमा अंदर से इतनी गोरी और सुंदर होगी, उसकी जांघें मोटी-मोटी और लंबी थी. मुझे ऐसा लगा जैसे वो अपनी जांघों पर रोज़ बेसन का लेप लगाती है. अब वो पूरी जांघों पर साबुन रगड़ने लगी और ढेर सारा झाग बना लिया, उसकी जांघो पर झाग को देखकर मेरे लंड से भी झाग जैसा कुछ टपकने लगा तो जैसे पेशाब छूटने वाला हो रहा था. फिर अपनी जांघों पर साबुन रगड़ने के बाद वो अपने हाथ को जांघों के बीच ले गयी और वहाँ साबुन रगड़ने लगी. ये सब देखकर मेरा बुरा हाल हो गया और में आउट ऑफ कंट्रोल हो गया.
फिर रेशमा ने पेटिकोट अपनी कमर से भी ऊपर उठा लिया और अपनी गांड नंगी कर ली और अपने तरबूज जैसे गोल-गोल चूतड़ो पर बैठ गयी, हाय उसकी गांड की क्या बनावट थी? उसकी गांड बड़ी मोटी थी और उसकी गांड के बीच का छेद भी काफ़ी गहरा था, उसकी एक-एक साईड की गांड 10-10 किलो के तरबूज जैसी थी. फिर रेशमा ने अपनी गांड पर जमकर साबुन लगाया और खूब रगड़ा और फिर उसने अपनी गांड के छेद में साबुन लगाने के लिए छेद में उंगली घुसा दी. वो क्या नज़ारा था?
उसकी गांड का छेद चॉकलेट की तरह ब्राउन था और वो अपनी बीच वाली उंगली गांड के छेद में अंदर बाहर कर रही थी. तभी अचानक से मेरा माल मेरे पजामे में ही छूट गया, अब तक रेशमा ने पूरे बदन पर साबुन रगड़ लिया था, लेकिन उसकी चूचीयाँ अब भी पेटिकोट में छुपी थी, तो रेशमा ने अपना पेटिकोट नीचे किया और अपनी दोनों चूचीयाँ प्रदर्शित कर दी. में उसके पीछे खड़ा था और फिर उसकी भारी-भारी गोल चूचीयों को साईड से देख रहा था. मेरी भाभी की गजब की बड़ी-बड़ी चूचीयाँ थी, लगता है भैया सारी रात चूचीयों को मुँह में ही रखते थे.
अब भाभी चूचीयों को साबुन से रगड़ने लगी, उसने अपनी निप्पल को पकड़कर चारों तरफ चूची की गोलाई में खूब साबुन लगाया. अब मेरे मन में भाभी को सामने से देखने का विचार आया, तो में भाभी की तरफ बढ़ने लगा और भाभी के सामने जाकर खड़ा हो गया. अब भाभी की नंगी चूचीयाँ और मोटे मोटे निपल्स मेरी नज़रों के सामने थे और भाभी दबा-दबाकर चूचीयों पर साबुन लगा रही थी.
तभी मैंने भाभी की चूत को देखा, हाय भाभी की चूत क्या मालदार थी? बड़ी-बड़ी झाँटें और झाँटें साबुन के झाग से सनी हुई थी. भाभी की चूत बड़ी फूली हुई थी और चूत का दरवाजा काफ़ी बड़ा था, जैसे कि भैया ने अपने लंड से भाभी का प्रवेश द्वार फाड़ डाला हो, भाभी की चूत के लिप्स गुलाबी थे और बड़े खूबसूरत दिख रहे थे. तभी भाभी की नज़र अचानक से मुझ पर गयी और उनको जैसे साप सूंघ गया हो. वो अपने देवर के सामने लगभग पूरी नंगी थी और में उनको भूखे शेर की तरह देख रहा था.
भाभी शर्म से पानी-पानी हो गयी और अपनी चूचीयों को अपने हाथों से छुपाने लगी, लेकिन इतनी बड़ी चीज़ उनके छोटे-छोटे हाथों से कैसे छुप सकती थी. फिर मैंने भाभी से कहा कि शरमाने की कोई बात नहीं है, क्योंकि घर पर कोई भी नहीं है और वैसे भी मैंने उसे पूरा नंगा देख ही लिया है. तो मैंने रेशमा से बोला कि भाभी आपका क्या कमाल का ख़ज़ाना है? आज में आपके इस ख़ज़ाने के अच्छे से दर्शन करना चाहता हूँ और मैंने उनके पेटिकोट को पकड़कर उनके मुँह की तरफ से बाहर निकाल दिया.
फिर मैंने बोला कि भाभी आज मुझे तुमको नंगा नहाते हुए देखना है इसलिए शरमाओ नहीं, अब भाभी थोड़ी नॉर्मल हुई और मेरी तरफ देखा और बोली बबलू तुम यहाँ से चले जाओ और ये बात किसी को मत बताना कि तुमने मुझे नंगा देख लिया है.
फिर मैंने बोला सिर्फ़ एक शर्त पर, अगर तुम मेरे सामने बिना डरे ऐसे ही नंगी होकर नहाना होगा. तो थोड़ा सोचने के बाद भाभी मान गयी और फिर उसने अपना हाथ अपनी चूचीयों से हटाया और मग हाथ में लेकर पानी अपने बदन पर डालने लगी. तभी मेरा लंड दोबारा तन गया, तो मैंने अपना पजामा उतार दिया और भाभी के मुँह के सामने अपना लंड करके खड़ा हो गया, भाभी की नज़र मेरे लंड पर पड़ी तो वो हल्के से चीखी और बोली बबलू ये क्या बदतमीज़ी है? में तेरी भाभी हूँ और तू मेरे साथ ऐसी गंदी हरकतें कर रहा है, में तेरी शिकायत तेरे भैया से करूँगी. तभी अचानक मुझे गुस्सा आ गया और मैंने तुरंत अपनी बनियान उतार दी और पूरा नंगा हो गया. अब में और मेरी भाभी दोनों पूरे नंगे थे फिर में भाभी पर झपट पड़ा और अपने मुँह में सीधा उनकी चूचीयों को दबोच लिया.
फिर मैंने उनका निपल मुँह में लिया और दबा-दबाकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची मसलने लगा, इस अचनाक हमले को भाभी तैयार नहीं थी और वो जमीन पर गिर पड़ी. तभी में अपना एक हाथ उनकी चूत पर ले गया और सहलाने लगा, मेरे इस तीन तरफ़ा हमले से भाभी अपना कंट्रोल खोने लगी. तीन तरफ़ा हमला मेरा मतलब भाभी की एक चूची मेरे मुँह में, भाभी की दूसरी चूची को में एक हाथ से मसल रहा था और भाभी की चूत पर मेरा दूसरा हाथ था.
में 5 मिनट तक ऐसे ही लगा रहा और फिर भाभी की मोनिंग स्टार्ट हो गयी. भाभी के बदन पर अब भी साबुन लगा था इसलिए मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और हमारे ऊपर मग से पानी डालने लगा. फिर थोड़ी ही देर में भाभी के बदन से सारा साबुन उतर गया और उनका गोरा बदन सोने की तरह चमकने लगा, भाभी मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मेरा लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था. अब में भाभी को चोदना चाहता था, भाभी जमीन पर लेटी थी और में उनके ऊपर था.
फिर मैंने प्यार से भाभी की टाँगों को खोल दिया और उसके कानों के पास जाकर फुसफुसाया, भाभी में आपके अंदर प्रवेश करना चाहता हूँ और आपका अमृत चखना चाहता हूँ. ये सुनकर भाभी बोली क्या मतलब? तो मैंने बोला भाभी आज में आपको अपना बनाना चाहता हूँ और आपको चोदना चाहता हूँ. तो भाभी मना करने लगी और बोली नहीं ये पाप है, में सिर्फ़ अपने पति के साथ ही संभोग करती हूँ, मुझे अपवित्र मत करो.
फिर मैंने उनकी कोई बात नहीं मानी और अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा, तो भाभी को मेरा लंड उनकी चूत पर फील होने लगा था और वो नहीं-नहीं बोल रही थी. तभी मैंने एक हल्का सा धक्का मारा और मेरे लंड का सुपाड़ा उनके जिस्म में प्रवेश हो गया, उसने ज़ोर से हवा में अपनी गांड उछाल दी और मुझे कसकर पकड़कर अपने सीने से चिपका लिया. उसके मुँह से आअहह निकल गयी और आँखों से आँसू निकल गये. उस टाईम वो बहुत परेशान दिख रही थी जिस कारण मैंने उसके होठों को चूसना स्टार्ट कर दिया.
अब मैंने दूसरा धक्का लगाया जो कि बड़ा जोरदार था, हम दोनों पूरे गीले होने की वजह से मुझे पता था कि बिना ज़्यादा दर्द के इस बार मेरे लंड का पूरा प्रवेश हो जायेगा. इस सुनामी वाले हमले से भाभी का जिस्म सिहर गया और उनकी दबी हुई वासना बाहर आने लगी. अब वो भी मेरा सहयोग देने लगी और मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया. फिर उसने अपनी जांघों को मेरी कमर पर लपेट लिया और वो मेरे हर झटके का जवाब अपनी गांड को उछाल-उछाल कर देने लगी, उसकी इस हरकत ने मेरी उत्तेजना और बढ़ा दी और में भी अपना हाथ उसकी गांड के नीचे ले गया और गांड का छेद ढूंढ कर उसमें उंगली घुसा दी.
अब मेरी भाभी जल बिन मछली होकर छटपटाने लगी और बोलने लगी कि देवर जी आज से मेरे दो पति है, मुझे अपनी बीवी समझकर जी भरकर चोदो और हमेशा के लिए चोदो. भाभी की गांड का छेद बिल्कुल मुलायम था और फिर मैंने उनकी गांड में बहुत अंदर तक उंगली घुसा दी. तो भाभी बोलने लगी कि ऐसी चुदाई तो आज तक तुम्हारे भैया ने भी नहीं की है, देवर जी आज तुम अपनी भाभी को अपना अमृत पिला दो, ये बोलकर भाभी ने मेरी गांड को अपनी चूत पर दबा दिया और भाभी झड़ गयी, लेकिन में अरबी घोड़े की तरह भाभी को पेलता रहा. फिर मेरा पानी निकलने वाला था तो में इतने जोश में था कि मेरे लंड का लावा भाभी के अंदर ही छोड़ दिया, फिर हम दोनों साथ में नहाये और हमें उसके बाद जब मौका मिला खूब चुदाई की और मजे लिए.
फिर उठकर में पीछे आँगन की तरफ गया जहाँ पर हेण्डपम्प लगा था और नहाने और मुँह हाथ धोने की पूरी व्यवस्था थी. उस समय घर पर कोई नहीं था, क्योंकि ताऊ जी और भाई खेत पर गये थे और दोनों बच्चे स्कूल गये थे और ताई जी भी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, तो में मुँह हाथ धोने आँगन की तरफ़ गया और में जैसे ही वहाँ पहुँचा तो वहां का सीन देखकर में हिल गया, मेरी सारी खुमारी छू मंतर हो गयी.
मेरी रेशमा भाभी हेण्डपम्प के पास बैठकर नहा रही थी और उसके बदन पर सिर्फ़ एक लाल रंग का पेटीकोट था, जिससे उसने अपनी दोनों चूचीयाँ ढक रखी थी और पेटिकोट घुटने तक फैला हुआ था. गावं में औरतें ऐसी ही नहाती है. रेशमा की पीठ मेरी तरफ थी और वो ठंडे-ठंडे पानी से नहाने का लुफ्त उठा रही थी. रेशमा की पीठ दूध की तरह गोरी थी, मुझे पीछे से उसकी गोरी-गोरी नंगी पीठ उत्तेजित कर रही थी. वो लगभग कमर तक नंगी थी और मेरा लंड उसकी पूरी नंगी पीठ को देखकर तन गया था.
अब रेशमा ने साबुन लगाना स्टार्ट कर दिया, पहले उसने अपने पैरो पर साबुन लगाया और ढेर सारा झाग बनाया, फिर साबुन लगाते-लगाते उसका हाथ घुटनो तक पहुँच गया तभी अचानक उसने अपने पेटिकोट को ऊपर खींचा और लगभग कमर तक उठा लिया. अब मुझे उसकी गोरी-गोरी जांघें साईड से दिखने लगी. मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि रेशमा अंदर से इतनी गोरी और सुंदर होगी, उसकी जांघें मोटी-मोटी और लंबी थी. मुझे ऐसा लगा जैसे वो अपनी जांघों पर रोज़ बेसन का लेप लगाती है. अब वो पूरी जांघों पर साबुन रगड़ने लगी और ढेर सारा झाग बना लिया, उसकी जांघो पर झाग को देखकर मेरे लंड से भी झाग जैसा कुछ टपकने लगा तो जैसे पेशाब छूटने वाला हो रहा था. फिर अपनी जांघों पर साबुन रगड़ने के बाद वो अपने हाथ को जांघों के बीच ले गयी और वहाँ साबुन रगड़ने लगी. ये सब देखकर मेरा बुरा हाल हो गया और में आउट ऑफ कंट्रोल हो गया.
फिर रेशमा ने पेटिकोट अपनी कमर से भी ऊपर उठा लिया और अपनी गांड नंगी कर ली और अपने तरबूज जैसे गोल-गोल चूतड़ो पर बैठ गयी, हाय उसकी गांड की क्या बनावट थी? उसकी गांड बड़ी मोटी थी और उसकी गांड के बीच का छेद भी काफ़ी गहरा था, उसकी एक-एक साईड की गांड 10-10 किलो के तरबूज जैसी थी. फिर रेशमा ने अपनी गांड पर जमकर साबुन लगाया और खूब रगड़ा और फिर उसने अपनी गांड के छेद में साबुन लगाने के लिए छेद में उंगली घुसा दी. वो क्या नज़ारा था?
उसकी गांड का छेद चॉकलेट की तरह ब्राउन था और वो अपनी बीच वाली उंगली गांड के छेद में अंदर बाहर कर रही थी. तभी अचानक से मेरा माल मेरे पजामे में ही छूट गया, अब तक रेशमा ने पूरे बदन पर साबुन रगड़ लिया था, लेकिन उसकी चूचीयाँ अब भी पेटिकोट में छुपी थी, तो रेशमा ने अपना पेटिकोट नीचे किया और अपनी दोनों चूचीयाँ प्रदर्शित कर दी. में उसके पीछे खड़ा था और फिर उसकी भारी-भारी गोल चूचीयों को साईड से देख रहा था. मेरी भाभी की गजब की बड़ी-बड़ी चूचीयाँ थी, लगता है भैया सारी रात चूचीयों को मुँह में ही रखते थे.
अब भाभी चूचीयों को साबुन से रगड़ने लगी, उसने अपनी निप्पल को पकड़कर चारों तरफ चूची की गोलाई में खूब साबुन लगाया. अब मेरे मन में भाभी को सामने से देखने का विचार आया, तो में भाभी की तरफ बढ़ने लगा और भाभी के सामने जाकर खड़ा हो गया. अब भाभी की नंगी चूचीयाँ और मोटे मोटे निपल्स मेरी नज़रों के सामने थे और भाभी दबा-दबाकर चूचीयों पर साबुन लगा रही थी.
तभी मैंने भाभी की चूत को देखा, हाय भाभी की चूत क्या मालदार थी? बड़ी-बड़ी झाँटें और झाँटें साबुन के झाग से सनी हुई थी. भाभी की चूत बड़ी फूली हुई थी और चूत का दरवाजा काफ़ी बड़ा था, जैसे कि भैया ने अपने लंड से भाभी का प्रवेश द्वार फाड़ डाला हो, भाभी की चूत के लिप्स गुलाबी थे और बड़े खूबसूरत दिख रहे थे. तभी भाभी की नज़र अचानक से मुझ पर गयी और उनको जैसे साप सूंघ गया हो. वो अपने देवर के सामने लगभग पूरी नंगी थी और में उनको भूखे शेर की तरह देख रहा था.
भाभी शर्म से पानी-पानी हो गयी और अपनी चूचीयों को अपने हाथों से छुपाने लगी, लेकिन इतनी बड़ी चीज़ उनके छोटे-छोटे हाथों से कैसे छुप सकती थी. फिर मैंने भाभी से कहा कि शरमाने की कोई बात नहीं है, क्योंकि घर पर कोई भी नहीं है और वैसे भी मैंने उसे पूरा नंगा देख ही लिया है. तो मैंने रेशमा से बोला कि भाभी आपका क्या कमाल का ख़ज़ाना है? आज में आपके इस ख़ज़ाने के अच्छे से दर्शन करना चाहता हूँ और मैंने उनके पेटिकोट को पकड़कर उनके मुँह की तरफ से बाहर निकाल दिया.
फिर मैंने बोला कि भाभी आज मुझे तुमको नंगा नहाते हुए देखना है इसलिए शरमाओ नहीं, अब भाभी थोड़ी नॉर्मल हुई और मेरी तरफ देखा और बोली बबलू तुम यहाँ से चले जाओ और ये बात किसी को मत बताना कि तुमने मुझे नंगा देख लिया है.
फिर मैंने बोला सिर्फ़ एक शर्त पर, अगर तुम मेरे सामने बिना डरे ऐसे ही नंगी होकर नहाना होगा. तो थोड़ा सोचने के बाद भाभी मान गयी और फिर उसने अपना हाथ अपनी चूचीयों से हटाया और मग हाथ में लेकर पानी अपने बदन पर डालने लगी. तभी मेरा लंड दोबारा तन गया, तो मैंने अपना पजामा उतार दिया और भाभी के मुँह के सामने अपना लंड करके खड़ा हो गया, भाभी की नज़र मेरे लंड पर पड़ी तो वो हल्के से चीखी और बोली बबलू ये क्या बदतमीज़ी है? में तेरी भाभी हूँ और तू मेरे साथ ऐसी गंदी हरकतें कर रहा है, में तेरी शिकायत तेरे भैया से करूँगी. तभी अचानक मुझे गुस्सा आ गया और मैंने तुरंत अपनी बनियान उतार दी और पूरा नंगा हो गया. अब में और मेरी भाभी दोनों पूरे नंगे थे फिर में भाभी पर झपट पड़ा और अपने मुँह में सीधा उनकी चूचीयों को दबोच लिया.
फिर मैंने उनका निपल मुँह में लिया और दबा-दबाकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची मसलने लगा, इस अचनाक हमले को भाभी तैयार नहीं थी और वो जमीन पर गिर पड़ी. तभी में अपना एक हाथ उनकी चूत पर ले गया और सहलाने लगा, मेरे इस तीन तरफ़ा हमले से भाभी अपना कंट्रोल खोने लगी. तीन तरफ़ा हमला मेरा मतलब भाभी की एक चूची मेरे मुँह में, भाभी की दूसरी चूची को में एक हाथ से मसल रहा था और भाभी की चूत पर मेरा दूसरा हाथ था.
में 5 मिनट तक ऐसे ही लगा रहा और फिर भाभी की मोनिंग स्टार्ट हो गयी. भाभी के बदन पर अब भी साबुन लगा था इसलिए मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और हमारे ऊपर मग से पानी डालने लगा. फिर थोड़ी ही देर में भाभी के बदन से सारा साबुन उतर गया और उनका गोरा बदन सोने की तरह चमकने लगा, भाभी मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मेरा लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था. अब में भाभी को चोदना चाहता था, भाभी जमीन पर लेटी थी और में उनके ऊपर था.
फिर मैंने प्यार से भाभी की टाँगों को खोल दिया और उसके कानों के पास जाकर फुसफुसाया, भाभी में आपके अंदर प्रवेश करना चाहता हूँ और आपका अमृत चखना चाहता हूँ. ये सुनकर भाभी बोली क्या मतलब? तो मैंने बोला भाभी आज में आपको अपना बनाना चाहता हूँ और आपको चोदना चाहता हूँ. तो भाभी मना करने लगी और बोली नहीं ये पाप है, में सिर्फ़ अपने पति के साथ ही संभोग करती हूँ, मुझे अपवित्र मत करो.
फिर मैंने उनकी कोई बात नहीं मानी और अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा, तो भाभी को मेरा लंड उनकी चूत पर फील होने लगा था और वो नहीं-नहीं बोल रही थी. तभी मैंने एक हल्का सा धक्का मारा और मेरे लंड का सुपाड़ा उनके जिस्म में प्रवेश हो गया, उसने ज़ोर से हवा में अपनी गांड उछाल दी और मुझे कसकर पकड़कर अपने सीने से चिपका लिया. उसके मुँह से आअहह निकल गयी और आँखों से आँसू निकल गये. उस टाईम वो बहुत परेशान दिख रही थी जिस कारण मैंने उसके होठों को चूसना स्टार्ट कर दिया.
अब मैंने दूसरा धक्का लगाया जो कि बड़ा जोरदार था, हम दोनों पूरे गीले होने की वजह से मुझे पता था कि बिना ज़्यादा दर्द के इस बार मेरे लंड का पूरा प्रवेश हो जायेगा. इस सुनामी वाले हमले से भाभी का जिस्म सिहर गया और उनकी दबी हुई वासना बाहर आने लगी. अब वो भी मेरा सहयोग देने लगी और मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया. फिर उसने अपनी जांघों को मेरी कमर पर लपेट लिया और वो मेरे हर झटके का जवाब अपनी गांड को उछाल-उछाल कर देने लगी, उसकी इस हरकत ने मेरी उत्तेजना और बढ़ा दी और में भी अपना हाथ उसकी गांड के नीचे ले गया और गांड का छेद ढूंढ कर उसमें उंगली घुसा दी.
अब मेरी भाभी जल बिन मछली होकर छटपटाने लगी और बोलने लगी कि देवर जी आज से मेरे दो पति है, मुझे अपनी बीवी समझकर जी भरकर चोदो और हमेशा के लिए चोदो. भाभी की गांड का छेद बिल्कुल मुलायम था और फिर मैंने उनकी गांड में बहुत अंदर तक उंगली घुसा दी. तो भाभी बोलने लगी कि ऐसी चुदाई तो आज तक तुम्हारे भैया ने भी नहीं की है, देवर जी आज तुम अपनी भाभी को अपना अमृत पिला दो, ये बोलकर भाभी ने मेरी गांड को अपनी चूत पर दबा दिया और भाभी झड़ गयी, लेकिन में अरबी घोड़े की तरह भाभी को पेलता रहा. फिर मेरा पानी निकलने वाला था तो में इतने जोश में था कि मेरे लंड का लावा भाभी के अंदर ही छोड़ दिया, फिर हम दोनों साथ में नहाये और हमें उसके बाद जब मौका मिला खूब चुदाई की और मजे लिए.